साहित्य-पत्रकारिता का तीर्थ है भट्ट जी की साधना स्थली
साहित्य-पत्रकारिता का तीर्थ है भट्ट जी की साधना स्थली
प्रयागराज, 14 सितम्बर । पंडित बालकृष्ण भट्ट के जीवन-दर्शन में साधना-समर्पण-संघर्ष की त्रिवेणी का प्रवाह दिखाई देता है, जो अन्यत्र दुर्लभ है। प्रयागराज का यह गौरव है कि वह हिन्दी के भीष्म पितामह पंडित बालकृष्ण भट्ट जैसे क्रान्तिकारी मनीषी की साहित्य-साधना स्थली रही है। हिन्दी दिवस पर हिन्दी के ऐसे शिल्पकार का स्मरण-वन्दन करने का सौभाग्य मिलना वास्तव में अनूठा है।
उक्त विचार हिन्दी दिवस पर मालवीय नगर स्थित हिन्दी के भीष्म पितामह पंडित बालकृष्ण भट्ट की ड्योढ़ी पर आयोजित श्रद्धासुमन अर्पण कार्यक्रम में आए हिन्दी अनुरागियों ने व्यक्त किए। चिन्तक-साहित्यकार आनन्द मालवीय ने भट्ट जी का स्मरण युग प्रवर्तक मनीषी के रूप में किया। कहा कि उनके जैसा संघर्ष और त्याग कम ही लोगों ने किया था। वह भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के वरिष्ठ समकालीन थे। लगातार बत्तीस वर्षों तक अपने दम पर ’हिन्दी-प्रदीप’ का प्रकाशन कर अदम्य साहस का परिचय दिया था।
वरिष्ठ छायाकार एवं पत्रकार अरविन्द मालवीय ने भट्टजी को हिन्दी पत्रकारिता के शिल्पकार के रूप में निरूपित किया। शिक्षाविद एवं छुन्नन गुरु के परिवार के डॉ अमित मोहिले के अनुसार वैसे तो प्रयागराज का पग-पग महत्वपूर्ण है किन्तु चौक का मालवीय नगर, कल्याणी देवी क्षेत्र भट्ट, महामना, राजर्षि, छुन्नन गुरु जैसे महापुरुषों का कर्मक्षेत्र रहा है। संयोजक व्रतशील शर्मा के अनुसार हिन्दी दिवस के शुभारम्भ के लिए ’हिन्दी-प्रदीप’ के क्रांतिकारी सम्पादक पं. बाल कृष्ण भट्ट की साधना-स्थली सर्वथा आदर्श स्थान है। दुःख इस बात का है कि उनके योगदान के अनुरूप उनका वास्तविक मूल्यांकन नहीं हो सका। कम से कम उनके नाम पर पत्रकारिता संस्थान और उनके नाम पर स्मारक की स्थापना होनी चाहिए।
कार्यक्रम का समापन डॉ रामनरेश त्रिपाठी, सत्येन्द्र चोपड़ा, सुधीर अग्निहोत्री तथा भट्ट की पौत्रवधु श्रीमती आशा मालवीय जी के प्रति शोक व्यक्त कर हुआ। कार्यक्रम में विधुभूषणराम तिवारी, रागिनी मालवीय, सुषमा मिश्रा, संध्या, संकल्प मालवीय आदि उपस्थित रहे। उल्लेखनीय है कि गत दिनों भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ द्वारा पंडित बाल कृष्ण भट्ट के नाम पर वरिष्ठ पत्रकारों को सम्मानित भी किया गया था और आगे भी इनके स्मरण में सम्मान देने की योजना क्रियान्वित होगी।