ट्रिपल आईटी में उपग्रह छवि विश्लेषण पर कार्यशाला शुरू

अत्याधुनिक तकनीक से पृथ्वी की सतह का सटीक मापन : प्रो. शेखर वर्मा

ट्रिपल आईटी में उपग्रह छवि विश्लेषण पर कार्यशाला शुरू

प्रयागराज, 10 जुलाई । भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ट्रिपल आईटी) के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित “समसामयिक अनुप्रयोग के लिए उपग्रह छवि विश्लेषण” विषय पर सात दिवसीय कार्यशाला सोमवार को झलवा परिसर में शुरू हुई। प्रो. शेखर वर्मा ने कहा कि अत्याधुनिक तकनीक की सहायता से पृथ्वी की सतह का सटीक मापन किया जा सकता है।

कार्यशाला के मुख्य अतिथि प्रो. शेखर वर्मा, अधिष्ठाता (एसडीए) ने विद्युत चुम्बकीय तरंगों के महत्व एवं प्रकृति के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में मशीन लर्निंग एवं डीप लर्निंग तकनीक का बहुतायत में प्रयोग हो रहा है, जो सही एवं सटीक परिणाम दे रहे हैं।

प्रो. पवन चक्रवर्ती ने इमेज प्रोसेसिंग टूल के महत्व को बताते हुए रिमोट सेंसिंग एवं स्पेस इमेजिंग पर प्रकाश डाला। उन्होंने मोबाइल आधारित मैपिंग का जिक्र करते हुए जीपीएस एवं सैम्पिग टूल की जानकारी दी। प्रो. के.पी सिंह ने सेटेलाइट इमेजिंग के समकालीन उपयोगों की जानकारी दी। उन्होंने रेनफाल फारकास्टिंग का उदाहरण देते हुए बताया कि सेटेलाइट इमेजिंग से वास्तविक जीवन की समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।



कार्यक्रम समन्वयक डॉ. त्रिलोकी पंत ने बताया कि सैटेलाइट इमेज प्रोसेसिंग अनुसंधान और विकास का एक प्रमुख क्षेत्र है जो पिछले कुछ दशकों में शोधकर्ताओं की गहरी रुचि बन गया है। ऐसे कई अनुप्रयोग हैं जहां प्रभावी परिणाम उत्पन्न करने के लिए उपग्रह इमेजिंग ही एकमात्र उपकरण है। उदाहरण के लिए भूमि कवर का मान चित्रण, वनों की कटाई के मानचित्र, शहरी क्षेत्र की वृद्धि, बाढ़ मानचित्रण आदि, क्योंकि उपग्रह इमेजिंग की मदद से एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र की निगरानी की जा सकती है। भारत में उपग्रह मिशनों का एक विशाल इतिहास है जो अतीत में सफलतापूर्वक संचालित किए गए और हर साल अधिक संख्या में उपग्रहों के साथ जारी रहे। डॉ. पंकज मिश्र ने बताया कि इस कार्यशाला में देश के विभिन्न प्रान्तों के प्रतिभागी शामिल हो रहे हैं।