महंगाई में टमाटर हुआ 'लाल', सब्जियों ने बिगड़ा खाने का स्वाद
किलो से अब पाव भर हो गया खरीदारी, गड़बड़ाया किचन का बजट, गृहिणियां परेशान
10 जुलाई। मानसून में बरसात का दौर जारी है। वहीं टमाटर ‘लाल’ यानी अचानक दामों में छलांग लगाई है। इससे सब्जियों का जायका बिगड़ने लगा है। एक तरफ गृहिणियां रसोई का बजट बिगड़ने से परेशान हैं तो सब्जी विक्रेता स्थानीय सब्जियों की आवक कम होने से चिंतित हो गए हैं। जनपद में टमाटर 120 रुपये के पार हो गया है। जो टमाटर थोड़े अच्छे हैं वह 160 रुपये किलो। जबकि अन्य 120 से 130 रुपये प्रति किलो बिक रहे हैं।
सब्जियों में आलू 20 रुपये किलो तक पहुंच गया है तो बोड़ा 80 रुपये किलो। सब्जी विक्रेता शनि सोनकर का कहना है कि बारिश के मौसम में स्थानीय स्तर पर टमाटर की आवक कम हो गई है। कासगंज से जो भी टमाटर आ रहे हैं वह बहुत कम हैं क्योंकि उधर भी बारिश से सब्जियों पर असर पड़ा है। सब्जी उत्पादक बताते हैं कि बरसात के कारण सब्जियां खराब हो गई हैं। ऐसे में नई सब्जियों को तत्काल उगाया नहीं जा सकता। जनपद में लगातार एक सप्ताह से बरसात हो रही है। ऐसे में सब्जियों का उत्पादन मुश्किल हो गया है। ऐसे में स्थानीय सब्जियां मंडी में नहीं पहुंच पा रही है। मंडी में बाहर से सब्जियां आ रही हैं। ऐसे में उसका लागत मूल्य जोड़ने के बाद महंगी बेची जा रही हैं। करीब दो माह तक सब्जियों के भाव में नरमी आने की उम्मीद नहीं दिख रही है।
40 रुपये प्रति किलो की दर से बिकने वाले परवल की कीमत 80 रुपये तक पहुंच गया है। बैंगन व भिंडी, करेला प्रति किलो 80 रुपये की दर से, लौकी व कद्दू 40 रुपये किलो, चौराई व पालक चालीस रुपये प्रति किलो है। भिंडी नेनुआ, लौकी, कद्दू, चौलाई, पालक के दामों में लगातार बढ़ोत्तरी होने से यह हरी सब्जियां थाली से गायब होने लगी हैं।
आलू-प्याज को छोड़ अन्य सब्जियां आम आदमी की पहुंच से दूर
मीरा मिश्रा कहती हैं, सब्जियों के दामों में बढ़ोत्तरी होने से भोजन की थाली से अब हरी सब्जियां गायब होने लगी हैं। सब्जियों के दामों पर नियंत्रण के लिए सरकार को कदम उठाना चाहिए। आलू और प्याज को छोड़कर अन्य सब्जियां आम आदमी की पहुंच से अब दूर होने लगी हैं। 100 रुपये के बजट में एक वक्त की भी सब्जी नहीं मिल पा रही है।