पुण्यतिथि पर याद की गईं वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई
लक्ष्मीबाई की जन्मस्थली को पर्यटन स्थल घोषित किये जाने की सरकार से मांग
वाराणसी,18 जून । काशी की बेटी व वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई की 164वीं पुण्यतिथि पर शनिवार को उनकी याद में लोगों ने बुंदेले हरबोलो से हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी था...जैसी पंक्तियां गुनगुनाईं। वीरांगना की जन्मस्थली भदैनी में उनकी विशाल मूर्ति पर श्रद्धासुमन अर्पित कर उन्हें नमन किया।
जागृति फाउंडेशन के बैनर तले आयोजित दो दिवसीय समारोह के अन्तिम दिन श्री संकट मोचन मंदिर के महंत एवं बीएचयू आईआईटी के प्रोफेसर विश्वम्भर नाथ मिश्र, विशिष्ट अतिथि साहित्यकार डॉ जयप्रकाश मिश्र, समाजसेवी सीपी जैन, दिव्यांग रंगकर्मी राजकुमार, सत्यांशु जोशी एवं रामयश मिश्र ने संयुक्त रुप से वीरांगना की मूर्ति पर श्रद्धासुमन अर्पित किया।
इस अवसर पर महंत प्रो. मिश्र ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के दांत खट्टे कर देने वाली वीरांगना काशी की बेटी थीं। काशी की माटी ने ही उन्हें स्वतंत्र रहना सिखाया। काशी का संस्कार ही था जिससे वह हर लड़ाई जीतीं और उन्होंने महिला सशक्तिकरण की दिशा में अमूल्य योगदान देकर संदेश दिया कि महिलाएं किसी से कम नहीं हैं। वह चाहे तो देश और समाज को बदल सकती हैं। हम उनको सादर नमन करते हैं। काशी की बेटी ने देश की आजादी की लड़ाई में जो कार्य किया है, वह यह सिद्ध करता है कि वह एक मजबूत महिला थीं। किसी के आगे अपना सिर झुकाने को तैयार नहीं थीं।
साहित्यकार डॉ. जयप्रकाश मिश्र ने कविताओं के माध्यम से वीरांगना के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित किया। कार्यक्रम संयोजक रामयश मिश्र ने कहा कि उनकी पुण्यतिथि पर हम केंद्र और राज्य सरकार से मांग करते हैं कि महारानी के नाम पर वीरांगना एक्सप्रेस चलाई जाए। जो काशी से चलकर उनकी शहीद स्थली ग्वालियर तक जाए। समाजसेवी सीपी जैन ने कहा कि महारानी के इस जन्मस्थली को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए।