11 से 16वीं सदी के बीच मारे गए दस करोड़ हिन्दू, 636 ई. से हिंसक हमलों की शुरूआत

संस्कृति संसद में पूर्वोत्तर भारत के लोगों से सम्पर्क बढ़ाने पर जोर

11 से 16वीं सदी के बीच मारे गए दस करोड़ हिन्दू, 636 ई. से हिंसक हमलों की शुरूआत

वाराणसी, 13 नवम्बर। इतिहासकार कोनराड एल्स्ट ने शनिवार को कहा कि हिंदुस्तान में लगभग 636 ई. से हिंसक हमले शुरू हुए। इस हमले में 11वीं शताब्दी से लेकर 16वीं शताब्दी के शुरुआत तक लगभग 8 से 10 करोड़ हिन्दुओं का नरसंहार हुआ। इतिहासकार सिगरा स्थित रूद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आयोजित संस्कृति संसद के दूसरे दिन के सत्र को सम्बोधित कर रहे थे।

‘हिन्दू होलोकास्ट; हिन्दू संस्कृति पर दो हजार वर्षों तक हुए हमले’ विषयक गोष्ठी में बताया कि ये आंकड़ा अनुमानित है। 1947 में बंटवारे के समय व 1971 में बांग्लादेश पाकिस्तान के बंटवारे के समय भी यही स्थिति हुई और लाखों लोग मारे गए। उन्होंने कहा कि इतिहास में आज तक जितने हिन्दू नरसंहार की बात की गई है उस पर किसी भी सरकार ने शोध नहीं कराया और न इस पर दृष्टि ही गई।

उन्होंने कहा कि हमलावरों का नरसंहार करने का कोई उद्देश्य नहीं था उनका उद्देश्य धर्मांतरण करवाना था। जिसने धर्मांतरण स्वीकार नहीं किया उसकी हत्या हुई। हिंदू नरसंहार पर चर्चा करते हुए कहा की नरसंहार शब्द को बहुत आसानी से इधर-उधर फेंक दिया जाता है। हिन्दू वंश संहार की घटनाएं अभी भी किसी न किसी रूप में चल रही हैं जो दुःखद है। इतिहासकार विक्रम संपथ ने कहा कि भारतीय संस्कृति और हिंदुत्व पर हुए हमले से हमें सीख लेनी चाहिए और साथ ही होलोकास्ट विषय पर भी चर्चा की जानी चाहिए। अगर आक्रान्ताओं की बात करें तो सबसे अधिक नुकसान उत्तर भारतीय मंदिरों को हुआ । लेकिन दक्षिण भारतीय मंदिरों की स्थिति आज भी पूर्व के समान ही है, क्योंकि आक्रांता वहां तक पहुंच ही नही पाये जिससे कि उनकी सम्पन्नता आज भी बनी हुई है।

पूर्वोत्तर भारत के लोगों से सम्पर्क,संवाद आवश्यक : सुनील देवधर

संस्कृति संसद में 'पूर्वोत्तर भारत की सांस्कृतिक चुनौतियाँ’ विषयक सत्र में वक्ताओं ने कहा कि वर्तमान समय में पूर्वोत्तर भारत में राष्ट्र विरोधी शक्तियां अपना षड्यंत्र चला रही हैं। उसे रोकने के लिए आवश्यक है कि हम पूर्वोत्तर के लोगों से निकटतम सम्बंध बनाए तथा वहां जाएं। भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सुनील देवधर ने कहा कि पूर्वोत्तर भारत में वर्तमान सरकार के प्रयासों से सकारात्मक वातावरण बन रहा है और इसे बढ़ाने के लिए हमें पूर्वोत्तर भारत के लोगों से संवाद बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए पूर्वोत्तर भारत के पर्यटन को भी बढ़ावा देना चाहिए। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि सभी मुसलमान एक ही तरह के नहीं हैं । उसमें भी कुछ राष्ट्रवादी हैं।

हमें पूर्वोत्तर से प्रेम करना है : जामयांग सेरिंग नामग्याल

संस्कृति संसद में सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल ने कहा कि भारतीय संस्कृति की समस्या पर समाधान मिल गया है । लेकिन काम अभी तक पूरा नहीं हुआ है। जहां भी हैं हमें पूर्वोत्तर से प्रेम करना है। आप सभी पूर्वोत्तर के बारे में पढ़े और उसे जाने आप जहां भी रहते हैं आपको पूर्वोत्तर भारत के बच्चे मिलेंगे। कर्मचारियों के रूप में, अलग-अलग जगह पर। सबसे पहले चेहरे के अलगाव से उसे भारतीय ना मानना यह गलत है। उन्होंने कहा कि हमारे देश के व्यक्ति को कोई बाहर का व्यक्ति कुछ बोले यह अपमान नहीं होना चाहिए। बल्कि हमें उस व्यक्ति के साथ आत्मीयता और दोस्ती का भाव रखना चाहिए। भले व इसाई हो,हमें उससे दोस्ती करनी चाहिए। यदि किसी को डरा कर,धमकाकर,बलपूर्वक उसका धर्म परिवर्तन कराया गया है तो उसके साथ आत्मीयता का प्रेम भाव रखकर उसके सत्य का साक्षात्कार करेंगे।

सरकारें मस्जिद और चर्च में नहीं वरन मंदिर में करती हैं हस्तक्षेप : आलोक कुमार

संस्कृति संसद में विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने 1991 में बने उपासना स्थल कानून के बारे में कहा कि यह कानून अचानक बना दिया गया था। लेकिन लोगों ने मन से इसे स्वीकार नहीं किया। इसे भी बदलना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि किसी ने नहीं सोचा था कि आज अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण होगा। इसी तरह कश्मीर से अनुच्छेद 370 व 35 ए आसानी से हटेगी, यह भी किसी ने नहीं सोचा था। लेकिन यह आज संभव हो पाया है।

‘उपासना स्थल अधिनियम 1991 एवं अन्य धार्मिक कानून, धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिंदुओं का दमन’ विषयक चर्चा में गंगा महासभा और अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि सरकार के द्वारा बनाए गए कानून जिसके अनुसार मंदिर और मस्जिद उसी स्थिति में रहेंगे। यह काला कानून है। उन्होंने कहा कि 18 इतिहासकारों द्वारा बिना अयोध्या में आए यहां के बारे में गलत इतिहास लिखा गया । जिसे बाद में खारिज कर दिया गया। लेकिन हमारी न्याय प्रणाली ऐसी है किसी इतिहासकारों के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं हुई।

जितेन्द्रानंद ने कहा कि पाठ्यक्रम में उनके इतिहास पढ़ाए जा रहे हैं। आयोग उन पर भी कोई मुकदमा नहीं कर रहा।

गंगा हमेशा निर्मल और अविरल रहे यह हमारी जिम्मेदारी : इंद्रेश कुमार


संस्कृति संसद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा कि गंगा हमेशा निर्मल और अविरल रहे यह हमारी जिम्मेदारी है। इसके लिए भारत सरकार ने एक आयोग बनाया है। ‘संस्कृति की अविरल धारा माँ गंगा’ विषयक सत्र में इंद्रेश कुमार ने कहा कि गंगा रक्षा के लिए संस्कृत और हिंदी भाषा को विश्व की संवाद भाषा बनाएं। गंगा हमें प्रकृति से प्रेम का संदेश देती है। भारत में अनेक नदियां हैं लेकिन मन और शरीर को निर्मल करने वाली नदी माँ गंगा हैं। हमारी संस्कृति में बहुत शक्ति है। भ्रष्टाचार हमारी जीवनशैली बन गयी है। गंगा हमेशा निर्मल रहे, स्वच्छ रहे यह हमारी जिम्मेदारी है। हमें संकल्प लेना चाहिए कि गंगा को हमेशा स्वच्छ रखें। सत्र का संचालन स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती ने किया।