बम-बम की गूंज से गूंज रही छोटी काशी कानपुर, शिवालयों में भक्तों ने की पूजा-अर्चना
कोविड प्रोटोकॉल का पालन कराते हुए आन्नदेश्वर मंदिर में भक्तगणों ने की पूजा
कानपुर, 25 जुलाई । श्रावण मास का शुभारंभ होते ही रविवार को कानपुर शिवमय रंग में रंगा हुआ दिखा। मंदिरों में बोल बम के जयकारों से गूंज रहा है। शहर के ऐतिहासिक आन्नदेश्वर मंदिर में भोर पहर दो बजे से भक्त बाबा के दर्शन किए और विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। मंदिर परिसर शिवभक्तों से पटा है। भक्त सुबह गंगा में डुबकी लगाकर गंगा जल के साथ भगवान आन्नदेश्वर के दर्शन कर पुण्य लाभ प्राप्ति की कामना कर रहे हैं।
मंदिर के पुजारी अजय पुरी ने बताया कि सावन की शुरुआत आज से हो गई है। श्रावण मास में यहां महादेव के दर्शन पूजन के लिए दूर-दराज से भक्तों की भीड़ आती है। इस बार कोविड-19 को देखते हुए पूरे प्रोटोकॉल के साथ भक्तों को प्रभु की दर्शन कराए जाने की व्यवस्था की गई है। मंदिर प्रबंधन के सदस्यों के साथ पुलिस कर्मियों द्वारा कतारबद्ध कोविड का पालन कराते हुए प्रवेश दिया जाएगा। मॉस्क न लगाने वाले को मंदिर में प्रवेश नहीं मिलेगा। दर्शन के बाद भक्तों को दूसरी बैरीकेटिंग से बाहर की ओर निकालने की व्यवस्था की गई है। वहीं सावन मास के शुरूआत होते ही आज भक्तों को मंदिर में दर्शन पूजन के लिए तांता लगा हुआ है और चाहुंओर बम-बम भोले, हर-हर महादेव के उद्घोष गुंजायमान है।
उधर, कोविड महामारी को देखते हुए जाजमऊ स्थित प्राचीन सिद्धनाथ शिव मंदिर में सावन में पूजन अर्चन कर पट बंद रखे गए हैं। यहां पर भक्तों की पूजा अर्चना पर रोक मंदिर प्रबंधन द्वारा लगाई गई है। शहर के सभी शिव मंदिरों में पुलिस की सुरक्षा में कोविड नियमों को पालन कराते हुए भक्तगण दर्शन कर महादेव से आशीष व सौभाग्य की कामना कर रहे हैं।
देर रात से भक्तों की लगी भीड़
शहर के सैकड़ों साल पुराने कहे जाने वाले आन्नदेश्वर शिव मंदिर में सुबह दो बजे से ही भक्तों का तांता लगा है। ऐसा कहा जाता है कि श्रावण मास के पांच सोमवार सच्ची श्रद्धा से भगवान शिव की आराधना करना 16 सोमवार के बराबर माना जाता है। मंदिर के पुजारी ने बताया कि भक्तों को कोई परेशानी न हो और कोविड नियमों का पालन कराएं जाने के लिए इस साल नौ प्वांट बनाए गए हैं। हर एक प्वाइंट पर मंदिर के कर्मचारी लगाए गए हैं। भक्त देर रात मंदिर पहुंच गए थे और लाइन पर खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार के लिए घंटों खड़े रहे। भक्तों के हाथों पर बेलपत्र, दूध और फूल-मालाएं आन्नदेश्वर के दरबार लेकर पहुंचे।
ये रहा मंदिर का इतिहास
गंगा के किनारे बसे परमठ में सैकड़ों साल पुराना भगवान आन्नदेश्वर मंदिर है, जिसे भक्त छोटी काशी के नाम से भी पुकारते हैं। मंदिर परिसर पर दो सौ के आसपास भगवानों के मूर्तियां विराजी हैं। मंदिर के पुजारी ने बताया कि बहुत पहले की बात है, यहां पर एक किसान रहता था, जो गायें पाले था। वो गायों को लेकर चराने के लिए आता था। इन्हीं में से एक आंनदी गाय थी, जो दूध देती थी। चारवाहा उसे लेकर जंगल आता और जब शाम को घर लौटता तो गाय दूध नहीं देती। चरवाहे ने गाय पर नजर रखी तो एक चमत्कार देखकर उसके पैरों के तले से जमीन खिसक गई। गाय एक स्थान पर खड़ी थी उसका दूध अपने-आप जमीन पर गिर रहा था। उसने पूरी घटना गांववालों को बताई और लोगों ने जमीन खोदा तो शिवलिंग मिली। गांववालों ने चंदा कर मंदिर का निर्माण करवाया और आन्नदेश्वर नाम रखा। ये मंदिर जूना अखाड़े के आधीन आता है और इसका प्रतिनिधि जूना अखाड़ा करता है।
शिव पूजन से मिलता इच्छित फल
पुजारी ने बताया कि सावन भगवान शिव का महीना माना जाता है और इस महीने में शिव की पूजा विशेष फलदायी होती है। यह महीना भगवान शंकर की भक्ति के लिए विशेष माना जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इस मास में विधि पूर्वक शिव उपासना करने से मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। सावन में ही कई प्रमुख त्योहार जैसे-हरियाली अमावस्या, नागपंचमी तथा रक्षा बंधन आदि आते हैं। सावन का महीना पूरी तरह से शिव तथा प्रकृति को समर्पित है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। सावन के महीने में भगवान शंकर की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इस दौरान पूजन की शुरूआत महादेव के अभिषेक के साथ की गई। अभिषेक में महादेव को जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गंगाजल, गन्ना रस आदि से स्नान कराया जाता है। अभिषेक के बाद बेलपत्र, समीपत्र, दूब, कुशा, कमल, नीलकमल, जंवाफूल, कनेर, राई फूल आदि से शिवजी को प्रसन्न किया गया। इसके साथ की भोग के रूप में धतूरा, भांग और श्रीफल महादेव को चढ़ाया गया।
सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त
प्रदेश में हॉल के दिनों में आंतकी गतिविधियों में लिप्त पकड़े गए संदिग्धों को देखते हुए अलर्ट के चलते मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था चार श्रेणियों में बांटा गया है। पुलिस, पीएसी और बल के जवान चप्पे-चप्पे में तैनात हैं और सीसीटीवी कैमरों से हर आने-जाने पर नजर रखी जा रही है।