शारदीय नवरात्र : पंचमी पर विंध्यधाम में श्रद्धा, विश्वास व आस्था का समागम

जयकारों की गूंज व वैदिक मंत्रोच्चारण और घंटा-घड़ियाल के स्वर से विंध्यधाम का कोना-कोना देवी भक्ति में लीन

शारदीय नवरात्र : पंचमी पर विंध्यधाम में श्रद्धा, विश्वास व आस्था का समागम

मीरजापुर, 07 अक्टूबर । जगविख्यात आदिशक्ति जगत जननी मां विंध्यवासिनी के आंगन से लेकर विंध्य पर्वत पर विराजमान मां अष्टभुजा और मां काली की चौखट तक शारदीय नवरात्र के पंचमी पर श्रद्धा, विश्वास व आस्था का समागम दिखा। देश-दुनिया से आए भक्तों ने त्रिदेवियों का दर्शन-पूजन कर सुख-समृद्धि मांगी। नवरात्र में मां विंध्यवासिनी हर रोज 20 घंटे भक्तों को दर्शन दे रहीं हैं। केवल चार घंटे ही आराम कर रहीं हैं। इसमें श्रृंगार-आरती भी शामिल है।

या देवि सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः के वैदिक मंत्रोच्चारण से मां विंध्यवासिनी के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता का आह्वान किया गया। वात्सल्य और करुणा की देवी मां स्कंदमाता के इस स्वरूप के स्मरण से प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझने की क्षमता प्रबल होती है। जयकारों की गूंज व वैदिक मंत्रोच्चारण और घंटा-घड़ियाल के स्वर से विंध्यधाम का कोना-कोना देवी भक्ति में लीन है। नारीशक्ति और मातृशक्ति का सजीव चरित्र प्रदर्शित करने वाले देवी के इस स्वरूप के दर्शन-पूजन के लिए भक्त कतारबद्ध हैं।

चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है... जैसे गीतों के साथ भक्तों की कतार बढ़ती जा रही है। पूरे विंध्याचल धाम में आस्था के ज्वार दिख रहे हैं। लंबा सफर कर थके-हारे भक्तों के चेहरे पर केवल मां की झलक पाने की लालसा है। नवरात्र के दिनों में गंगा घाट से लेकर विंध्य पर्वत गुलजार है।

मंगला आरती के बाद विध्यधाम घंटा-घड़ियाल के बीच मां विध्यवासिनी के जयकारे से गुंजायमान हो उठा। नारियल, चुनरी, माला-फूल प्रसाद के साथ कतारबद्ध श्रद्धालु मां की भक्ति में लीन दिखे। मां विध्यवासिनी का भव्य श्रृंगार किया गया था। मंदिर भी प्राकृतिक फूलों व रंग-बिरंगी झालरों से सजाया गया था, जो अलौकिक छटा बिखेर रहा था। कोई झांकी तो कोई गर्भगृह से मां विध्यवासिनी का दर्शन-पूजन कर मंगलकामना की। मां विध्यवासिनी के दर्शन-पूजन के बाद मंदिर परिसर पर विराजमान समस्त देवी-देवताओं के चरणों में शीश झुकाया। हवन-कुंड की परिक्रमा की। इसके बाद विंध्य पर्वत पर विराजमान मां अष्टभुजा व मां काली के दर्शन को पैदल निकल पड़े। मां अष्टभुजा व मां काली का दर्शन करने के बाद श्रद्धालुओं ने मंदिर के पास रेलिंग पर चुनरी बांध मन्नतें मांगी। इसके बाद शिवपुर स्थित तारा माता के दर्शन को निकल पड़े। मां तारा मंदिर पहुंच पूजन-अर्चन किया।

सांस्कृतिक मंच पर मां विंध्यवासिनी की महिमा का बखान

विंध्यधाम तीर्थ विकास परिषद की ओर से विंध्याचल धाम में विंध्य महोत्सव का आयोजन किया गया है। विंध्य महोत्सव मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रम के जरिए मां विंध्यवासिनी की महिमा का बखान किया का रहा है। देश-दुनिया से आने वाले भक्त इसमें गोता लगा रहे हैं।