ग्रामीण महिलाओं ने जीयत रहा मोर भैया उद्घोष के साथ प्रधानमंत्री मोदी का किया स्वागत

ग्रामीण महिलाओं ने "जीयत रहा मोर भैया" उद्घोष के साथ प्रधानमंत्री मोदी का किया स्वागत

ग्रामीण महिलाओं ने जीयत रहा मोर भैया उद्घोष के साथ प्रधानमंत्री मोदी का किया स्वागत

वाराणसी, 23 सितम्बर । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दौरे में मातृ शक्ति के प्रति पूरे समय तक सम्मान का भाव दिखाया। प्रधानमंत्री का अंदाज महिलाओं में चर्चा का विषय रहा। नारी शक्ति वंदन अधिनियिम कानून के पास होने के बाद काशी आये प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए महिलाएं भी उत्साहित रही।

गंजारी में अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के शिलान्यास के पश्चात हैलिपैड पर जिला उपाध्यक्ष सुरेश सिंह एवं अरविंद पटेल की अगुवाई में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सीआफ करने पहुंची महिलाओं ने "जीयत रहा मोरे भैया" के उद्घोष के साथ स्वागत किया। काशी दौरे में सभी प्रमुख कार्यक्रम स्थलों पर महिलाओं द्वारा ही प्रधानमंत्री का स्वागत एवं अभिनंदन किया गया।


ऐसा पहली बार हुआ है जब काशी के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काशी आगमन पर सभी प्रमुख कार्यक्रम स्थलों पर महिलाओ द्वारा ही अगवानी की गई। एयरपोर्ट हो या गंजारी हैलीपैड फिर सम्पूर्णानंन्द संस्कृत विश्वविद्यालय हो महिलाओं ने ही पीएम का स्वागत किया। प्रधानमंत्री ने भी कहा कि काशी माता कुष्मांडा, माता श्रृंगार गौरी, मां अन्नपूर्णा और मां गंगा की पावन नगरी है। यहां के कण कण में मातृ शक्ति की महिमा जुड़ी है। विंध्यवासिनी देवी भी बनारस से दूर नहीं हैं। काशी नगरी देवी अहिल्याबाई होल्कर के पुण्य कार्यों और प्रबंध कौशल की साक्षी रही है।


प्रधानमंत्री ने कहा कि नारी का नेतृत्व बाकी दुनिया के लिए आधुनिक व्यवस्था हो सकती है। हम तो महादेव से पहले मां पार्वती और गंगा को प्रणाम करने वाले लोग हैं। हमारी काशी रानी लक्ष्मीबाई जैसी वीरांगना की जन्मभूमि है। आजादी की लड़ाई में लक्ष्मीबाई जैसी वीरांगनाओं से लेकर मिशन चंद्रयान को लीड करने वाली महिला वैज्ञानिकों तक नारी नेतृत्व के सामर्थ्य को हर कालखंड में हमने साबित किया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कहा, ''नास्ति मातृसमा छाया नास्ति मातृसमा गतिः, नास्ति मातृसमं त्राणं नास्ति मातृसमा प्रिया।'' मां के समान कोई छाया नहीं, मां के समान को सहारा नहीं, मां के समान कोई रक्षक नहीं, मां के समान कोई प्रिय नहीं हो सकता है।