प्रख्यात पत्रकार एवं साहित्यकार कृष्णमोहन अग्रवाल का निधन
प्रख्यात पत्रकार एवं साहित्यकार कृष्णमोहन अग्रवाल का निधन

प्रयागराज, 17 मार्च (हि.स.)। लगभग 40 वर्ष तक पत्रकारीय कर्म का बहुविध निर्वहण करने वाले कृष्णमोहन अग्रवाल का गत 16 मार्च को निधन हो गया। यह सूचना श्री अग्रवाल के सारस्वत मित्र आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने दी है।
आचार्य ने बताया कि उनके पोते से वार्ता करने के पश्चात् ज्ञात हुआ कि श्री अग्रवाल कुछ दिनों से गम्भीर रूप से अस्वस्थ हो गये थे। उन्हें उपचार-हेतु 16 मार्च को ही लखनऊ-स्थित मेदान्ता चिकित्सालय ले जाया गया, जहां चिकित्सक असमर्थ दिखे और कुछ ही अवधि-बाद उनका प्राणान्त हो गया।
उल्लेखनीय है कि 'के एम अग्रवाल' नाम से विख्यात श्री अग्रवाल कई दशक तक इलाहाबाद मे रहकर अपनी पत्रकारिता को ऊंचाई पर ले गये थे। वे एक पत्रकार ही नहीं थे, अपितु रंगकर्मी, साहित्यकार, समाजकार एवं राजनेता भी थे। वे कई पत्रकार संगठनों के पदाधिकारी थे तथा कई हिन्दी-दैनिक समाचार पत्रों में विविध पदों पर प्रतिष्ठित भी। जिनमें 'पूर्वांचल प्रहरी', 'स्वतन्त्र भारत', 'अमृत प्रभात' इत्यादि प्रमुख थे।
महाराजगंज (उप्र) के मूल निवासी कृष्णमोहन अग्रवाल इलाहाबाद से प्रकाशित हिन्दी-दैनिक 'अमृत प्रभात' के प्रकाशन-प्रारम्भ से ही प्रधान संवाददाता के पद पर थे। मितभाषी अग्रवाल के अन्तस् में साहित्य के बीजांकुरण का श्रेय कब प्राप्त कर लिया, ज्ञात ही नहीं हुआ। परन्तु उन्होंने अपने समकालीन पत्रकार मित्रों तथा तत्कालीन देश, काल, परिस्थिति एवं पात्र का चित्रण किया, तब उनके भीतर की शब्दजीविता मुखर होकर प्रत्यक्ष हुई थी।
आचार्य ने बताया कि उनकी संस्मरणीय कृति 'जो झुका नहीं' के रूप में उनकी लेखनी उपन्यास की ओर बढ़ी। परिणामत: उन्होंने रच डाला, 'प्रोफेसर रामनाथ'। सर्जना के प्रति उनकी इच्छाशक्ति इतनी प्रबल थी कि वे 'रूपमती की डायरी' के माध्यम से कथा साहित्य में प्रतिष्ठित हो गये। इस प्रकार उन्होंने कविता, कहानी, उपन्यास तथा नाटक विषयों पर गहन चिन्तन करते हुए, समाज को अपनी सर्जन-सामर्थ्य से बहुविध अवगत करा दिया। आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने अपनी संस्था 'सर्जन पीठ' की ओर से कृष्णमोहन अग्रवाल के प्रति भावांजलि प्रकट की है।