शक्ति के पांचवें स्वरूप मां स्कंदमाता की आराधना से मिलता है संतान सुख

शक्ति के पांचवें स्वरूप मां स्कंदमाता की आराधना से मिलता है संतान सुख

शक्ति के पांचवें स्वरूप मां स्कंदमाता की आराधना से मिलता है संतान सुख

07 अक्टूबर। नवरात्रि के पांचवे दिन भक्तगण स्कंद माता की अराधना करते हैं। सोमवार को सुबह से ही देवी मंदिरों में भक्तों की भीड़ जुटी रही है। स्कंद माता की उपासना से भक्तों की सारी इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं और परम शांति व सुख का अनुभव होने लगता है। जो लोग स्कंद माता की विधिवत उपासना करते हैं, माता उन पर अपनी संतान के समान स्नेह लुटाती हैं।

पंडित वीरेंद्र कुमार शुक्ला ने जानकारी देते हुए बताया कि स्कंदमाता देवी की महिमा अद्भुत एवं अपरम्पार है। नवदुर्गा का पांचवां स्वरूप स्कंद माता का है। कार्तिकेय (स्कन्द) की माता होने के कारण इनको स्कन्द माता कहा जाता है। माता चार भुजाधारी, कमल के पुष्प पर विराजमान हैं। इनको पद्मासना देवी भी कहा जाता है। कार्तिकेय भी इनकी गोद में बैठे हुए हैं जिससे कार्तिकेय की पूजा स्वयं हो जाती है। स्कंद माता की पूजा से जीवन से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं। संतान प्राप्ति का सुख मिलता है और मां की पूजा से भक्त भय से दूर हो जाते हैं।

जनपद के सभी देवी मंदिरों में भक्तों की लंबी कतार देखने को मिल रही है। जहां भक्त श्रद्धा भक्ति भाव के साथ मां की आराधना में लीन नजर आ रहे हैं। देवी पंडालों में छोटे छोटे नौनिहालों के द्वारा देवी भजनों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किया जा रहे हैं।

पंडित त्रिपुरारी चतुर्वेदी ने बताया कि स्कंद माता की पूजा से संतान सुख मिलता है। संतान से कोई कष्ट हो रहा हो तो उसका भी अंत हो जाता है। स्कंदमाता को पीला रंग अति प्रिय है।पूजा में पीले वस्त्र धारण कर मां को पीले फूल अर्पित करें और पीली चीजों का भोग लगाएं।