ईश्वर शरण महाविद्यालय में मेंटल हेल्थ एण्ड सुसाइडल प्रिवेंशन अवेयरनेस पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार
आत्महत्या की प्रवृत्ति वाले व्यक्ति के भाव उसके संज्ञानात्मक स्थिति पर हावी : प्रो0 जनक पाण्डेय
प्रयागराज, 29 अक्टूबर। आत्महत्या की प्रवृत्ति रखने वाला व्यक्ति अकेला रहना पसंद करता है एवं उसकी भावात्मक स्थिति उसके संज्ञानात्मक स्थिति पर हावी होती जाती है। ऐसे लोग विकल्पों की खोज एवं पहचान नहीं कर पाते।
यह बातें मुख्य अतिथि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. जनक पाण्डेय ने शुक्रवार को ईश्वर शरण पीजी कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग एवं काउंसलिंग सेल के संयुक्त तत्वावधान में ‘मेंटल हेल्थ एण्ड सुसाइडल प्रिवेंशन अवेयरनेस : क्रियेटिंग होपथ्रू एक्शन’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार में कही। उन्होंने मेंटल हेल्थ पर किये गये कार्यों से प्राप्त अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि आत्महत्या की प्रवृत्ति वाले बच्चों का अकेलापन दूर करके उनकी प्रवृत्ति में बदलाव लाया जा सकता है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के समाज शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो0 आशीष सक्सेना ने आत्महत्या के सामाजिक पहलुओं पर गम्भीर चर्चा की। उन्होंने बताया कि आज का समाज जोखिम भरा है। यहां समाज के साथ अत्यधिक संलग्नता या अत्यधिक विलगता व्यक्ति में कुंठा उत्पन्न कर देती है।
एम.एम महिला महाविद्यालय, आरा की मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. लतिका वर्मा ने कहा कि भारत में आत्महत्या से मृत्यु की दर 2019 में 12.70 प्रतिशत थी जो कि 2018 से 0.79 प्रतिशत अधिक है। जबकि 2017 की तुलना में यह दर 05 प्रतिशत बढ़कर 2018 में 12.60 प्रतिशत हो गयी थी। अतिथियों का स्वागत महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. अजय श्रीवास्तव ने, संचालन डॉ. रश्मि जैन एवं धन्यवाद ज्ञापन कुलानुशासक डॉ. मान सिंह ने किया।
द्वितीय में आर्य कन्या महाविद्यालय, प्रयागराज के शिक्षा शास्त्र की प्राध्यापिका डॉ. श्रुति आनन्द ने आत्महत्या के शैक्षिक पहलुओं पर चर्चा करते हुए बताया कि शिक्षा आनन्द के लिए होनी चाहिए न कि तनाव के लिए। उन्होंने आत्महत्या की प्रवृत्तियों के निरोध के लिए अध्यापकीय भूमिका पर पुनर्विचार करने की बात कही। द्वितीय वक्ता क्लीनिकल साइकोलोजी के विशेषज्ञ डॉ. राजेश कुमार ने आत्महत्या के क्लीनिकल पहलुओं पर चर्चा की और विभिन्न प्रविधियों पर प्रकाश डाला। जिनका उपयोग करके आत्महत्या जैसी प्रवृत्ति को रोका जा सकता है।
द्वितीय सत्र का संचालन डॉ. शिखा श्रीवास्तव ने एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ.अंजना श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम में डॉ. अविनाश पाण्डेय, डॉ. अखिलेश त्रिपाठी, डॉ.अमरजीत राम, डॉ. विवेकानन्द त्रिपाठी, डॉ. अनुजा सलूजा, डॉ. दिव्या पाण्डेय, डॉ. आलोक मिश्रा, डॉ. मनोज कुमार दुबे सहित तमाम प्राध्यापक उपस्थित रहे।