मानसून आगमन में ओएलआर की है अहम भूमिका : मौसम वैज्ञानिक
मानसून आगमन में ओएलआर की है अहम भूमिका : मौसम वैज्ञानिक
कानपुर, 21 मई । मानसून आगमन के लिए साधारणतया तीन मुख्य कारण होते हैं, लेकिन उनमें से ओएलआर की अहम भूमिका होती है। ओएलआर जितना अधिक सकारात्मक होगा उतना ही मानसून मजबूत होगा। यह बातें शनिवार को सीएसए के मौसम वैज्ञानिक डा. एस एन सुनील पाण्डेय ने कही।
चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी (सीएसए) के मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि मानसून के आगमन के लिए तीन मुख्य कारक हैं। जब यह तीनों कारक प्रभावी होते हैं तभी मानसून के आगमन की बात स्पष्ट होती है। मानसून के आगमन के लिए जरुरी तीन मुख्य कारक हैं। हवा की क्षेत्र और गति, आउटगोइंग लॉन्गवेव रेडिएशन (ओएलआर) और लगातार दो दिनों तक 14 सूचीबद्ध स्थानों पर 2.5 मिमी बारिश होना शामिल है। इनमें से ज्यादातर पैरामीटर अरब सागर और उससे सटे जगहों से संबंधित हैं। बताया कि इन तीनों कारकों में से ओएलआर सबसे महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ मुश्किल कारक भी है।
ओएलआर मुख्य रूप से पृथ्वी की सतह, समुद्रों और वायुमंडल द्वारा अंतरिक्ष में उत्सर्जित ऊर्जा की मात्रा का एक माप है। इसके अलावा यह पृथ्वी के रेडिएशन बजट का एक जरुरी घटक भी है। ओएलआर का मान अक्षांशीय रेखा पर 5-10 डिग्री उत्तरी और देशांतर पर 70-75 डिग्री कम होना चाहिए। इसका मान क्लाउड कवर के आधार पर निकाला जाता है यानी क्लाउड कवर जितना मोटा होगा, वैल्यू उतना ही कम होगा। इसका मतलब है कि क्लाउड कवर का रेडिएशन बाहर नहीं जाएगा। हम कह सकते हैं कि मानसूनी पैरामीटर क्लाउड कवर के संदर्भ में अलग-अलग तीव्रता और मोटाई के साथ होता है। साथ ही, यह क्रिया कम से कम दो दिनों तक लगातार होनी चाहिए। ओएलआर को आइसोलेशन में नहीं मापा जाना चाहिए और अन्य मापदंडों के साथ संयोजन में होना चाहिए।