सैन्य काफिले पर उग्रवादी हमले में जवानों की शहादत आन्तरिक सुरक्षा नीति की असफलता : प्रमोद तिवारी
आतंकवाद पर गृहमंत्री जुबानी हमला नहीं, कड़ा जबाब देने का नैतिक साहस दिखलाएं : प्रमोद तिवारी
प्रतापगढ़, 14 नवम्बर । पूर्व राज्यसभा सांसद तथा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने मणिपुर में असम राइफल्स के काफिले पर उग्रवादियों द्वारा हमले में कर्नल विप्लव त्रिपाठी समेत पांच जवानों की शहादत पर गहरी संवेदना प्रकट की है। सैन्य काफिले पर इस खौफनाक हमले को केंद्र सरकार की आंतरिक सुरक्षा नीति की असफलता करार दिया है।
उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह पर तंज कसते हुए कहाकि वह वाराणसी में आतंकवाद पर जुबानी हमले की जगह अब आतंकियों को उन्हीं की भाषा में कड़ा जबाब देने का नैतिक साहस दिखलाएं।
रविवार को जारी बयान में प्रमोद तिवारी ने कहा कि आतंकियों द्वारा जिस तरह से सेना के कर्नल और पांच जवानों तथा कर्नल के परिवार के निर्दोष सदस्यों की जघन्य हत्या की गई यह सीधे तौर पर आतंकवादियों की केंद्र सरकार को सीधी चुनौती है। सीडब्ल्यूसी मेंबर प्रमोद तिवारी ने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए देशवासियों से माफी मांगने को भी कहा है।
तिवारी ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह संवेदनशील मंत्रालय में अपने पद का दुरूपयोग करते हुए जिस तरह से राजनीतिक प्रचार में वक्त लगा रहे हैं और देश को आतंकवादियों और उग्रवादियों के रहमोकरम पर छोड़ रहे हैं, यह अत्यन्त राष्ट्रीय चिन्ता का विषय है। कर्नल जैसे उच्च सैन्य पद के परिवारजनों सहित पांच जवानों की यह निर्मम हत्या पूर्वोत्तर राज्यों के मौजूदा हालात से देश की चिंताएं बढ़ा दी है।
मीडिया प्रभारी ज्ञानप्रकाश शुक्ल के हवाले से जारी बयान मे प्रमोद तिवारी ने गृहमंत्री अमित शाह के ढाई साल के कार्यकाल को पूरी तरह असफल ठहराते हुए कहा है कि शाह के कार्यकाल में उग्रवाद और आतंकवाद की घटनाओं में लगातार बढ़ोत्तरी बेहद अफसोसजनक तस्वीर बयां कर रही है।
आजादी के प्रखर नायक थे पण्डित नेहरू
आधुनिक भारत के निर्माता पं.जवाहर लाल नेहरू की जयंती लालगंज स्थित विधायक आराधना मिश्रा मोना के कार्यालय पर समारोहपूर्वक मनाई गयी। कार्यक्रम में पं. नेहरू के चित्र पर माल्यार्पण कर किया।
कार्यक्रम को वर्चुअल संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि पं. नेहरू आजादी के आंदोलन के दौर में देश के एक प्रखर नायक के रूप में सदैव याद रखे जायेगें। वहीं उन्होनें पं. जवाहर लाल नेहरू के भारत के आत्मनिर्भर वैदेशिक चिंतन के तहत गुटनिरपेक्ष आंदोलन तथा पंचशील सिद्धांत को भी भारतीय लोकतंत्र की मजबूती का स्वर्णिम आधार ठहराया। पं. नेहरू ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में भारतीय अर्थव्यवस्था को भी ढांचागत योजनाद्ध मजबूती प्रदान की।