प्रयागराज: हिन्दी काव्य साधना को नई चेतना दे रहा काव्य रस परिवार

साप्ताहिक प्रतियोगिता में विषय और विधा के माध्यम से छंद विधान को बढ़ावा

प्रयागराज, 14 सितम्बर । मौलिक सृजन के लिए समर्पित साहित्यिक संस्था काव्य रस द्वारा विगत 14 महीने से हिंदी के लिए काव्य विधा में एक नया आयाम स्थापित कर रही है। काव्य रस के संचालक मंडल में सम्मानित कवियों का समर्पण और निष्ठा से काव्य साधना का एक विस्तृत फलक विस्तारित हो रहा है।

काव्य रस के संस्थापक एवं निदेशक डॉ. भगवान प्रसाद उपाध्याय ने बताया कि प्रत्येक सप्ताह चयनित विधा और विषयों पर प्रतियोगिता के माध्यम से श्रेष्ठ रचनाकारों को सम्मान पत्र प्रदान करना और उनकी रचनाओं को काव्य रस परिवार की सहयोगी पत्रिका साहित्यांजलि प्रभा के अंक में भी प्रकाशित कर उन्हें प्रोत्साहित करना काव्य रस परिवार का मुख्य उद्देश्य है। छंद विधान को बढ़ावा देने की अनूठी पहल के तहत अब तक 65 प्रतियोगिताएं आयोजित की गई हैं। जिसमें शताधिक साहित्यकारों को सम्मान पत्र दिया जा चुका है। काव्य रस की ओर से आगामी योजना में वृहद काव्य संकलन का प्रकाशन कवियों का सारस्वत अभिनंदन और काव्य रस के माध्यम से नवोदित कवियों को प्रोत्साहन देने के लिए भी पहल करने की योजना बनाई गई है।

डॉ. भगवान प्रसाद उपाध्याय ने बताया कि इस परिवार में जिन समर्पित साहित्यकारों का अभूतपूर्व योगदान है उनमें डॉ. शंभू नाथ त्रिपाठी अंशुल, बाबा कल्पेश महाराज, डॉ.त्रिलोकी सिंह, जगदम्बा प्रसाद शुक्ल, श्याम नारायण श्रीवास्तव, बृजेश पांडेय, आलोक मिश्रा, आनंद नारायण पाठक के साथ-साथ डॉ. नीलिमा मिश्रा, पं. सुधाकांत मिश्र बेलाला, डॉ. शरद नारायण खरे, रामसुख सफाया, पं. रामजस त्रिपाठी, राकेश मालवीय, प्रकाश दुबे पथिक, डॉ राम लखन चौरसिया, डॉ वीरेंद्र कुसुमाकर, डॉ राजेंद्र शुक्ला, डॉ. रसिक किशोर सिंह, नीरज आदि अनेक ख्यातिलब्ध कवियों की लम्बी श्रृंखला है, जो सदैव काव्य साधना में निरत रहते हैं।