प्रयागराज: हिन्दी हिन्दुस्तान की राष्ट्रभाषा ही नहीं हिन्दुस्तानियों की पहचान भी है : डॉ योगेन्द्र प्रताप
हमें अपनी मातृभाषा कभी नहीं भूलना चाहिए
प्रयागराज, 14 सितम्बर । रज्जू भैया शिक्षा प्रसार समिति द्वारा संचालित ज्वाला देवी स.वि.मं. इण्टर कालेज सिविल लाइन्स में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ योगेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि हिन्दी भाषा को देवनागरी लिपि में भारत की कार्यकारी और राजभाषा का दर्जा दिया गया। हिन्दी हिन्दुस्तान की राष्ट्रभाषा ही नहीं बल्कि हिन्दुस्तानियों की पहचान भी है। हमें अपनी मातृभाषा कभी नहीं भूलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343(1) में हिन्दी को संघ की राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। 2011 सेन्सस रिपोर्ट के अनुसार भारत की सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा हिंदी है। 2001 में 41.03 प्रतिशत मातृभाषा हिंदी बोलने वाले लोग थे वहीं 2011 में यह प्रतिशत बढ़कर 43.63 प्रतिशत हो गया। भारत में 1949 से हर साल 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है।
हिन्दी के आचार्य सरोज कुमार द्विवेदी ने कहा कि हिन्दी अपने राष्ट्र की अभिव्यक्ति का सरलतम स्रोत है। अतः राष्ट्र एवं समाज की उन्नति के लिये हमें हिन्दी भाषा के विकास के लिये निरन्तर प्रयास करना चाहिये। पूरे विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं मे से हिंदी चौथी है। उन्होंने विभिन्न आयामों एवं प्रतियोगिताओं के माध्यम से हिन्दी की उपयोगिता एवं वर्तमान समय में हिन्दी भाषा की उपादेयता पर प्रकाश डाला।
हरेकृष्ण त्रिपाठी ने कहा कि जिस तरह भारतेन्दु ने कहा था कि हिन्दुस्तान का विकास तभी सम्भव है जब उसकी राजभाषा हिन्दी का विकास होगा। उन्होंने कहा कि जिन महापुरुषों ने हिन्दी भाषा के विकास एवं प्रचार-प्रसार में अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया ऐसे महापुरुष मदन मोहन मालवीय, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त, महावीर प्रसाद द्विवेदी आदि महापुरुषों को हमें कभी नहीं भूलना चाहिए।
विद्यालय के प्रधानाचार्य विक्रम बहादुर सिंह परिहार ने कहा कि हिन्दी भाषा हिन्दुस्तान की जननी है, इस भाषा को भारतवर्ष के निवासी मातृभाषा का दर्जा देते हैं। इस दृष्टि से इसका उत्थान करना हमारा मुख्य कर्तव्य होना चाहिये। उन्होंने कहा कि हिन्दी भाषा हमारे राष्ट्र का गौरव है अतः हमें इसकी अक्षुण्ता बनाये रखने के लिये निरन्तर प्रयासरत रहना चाहिये। प्रधानाचार्य ने सभी लोगों के प्रति अपना आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन विद्यालय के हिन्दी के आचार्य अभय त्रिपाठी ने किया। अंत में कार्यक्रम में तीन चरणों में आयोजित हिन्दी सुलेख एवं निबन्ध प्रतियोगिता के विजेता छात्रों को सम्मानित किया गया।