भारत को सनातन वैदिक हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए : नरेन्द्रानंद सरस्वती
हिन्दू राष्ट्र घोषित हुए बिना विश्व में शान्ति एवं सद्भाव की कल्पना नहीं
प्रयागराज, 19 जनवरी। माघ मेला के आचार्य बाड़ा स्थित जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी अनिरुद्धाचार्य महाराज के पण्डाल में स्वामी धराचार्य महाराज की अध्यक्षता में सन्त सम्मेलन का आयोजन हुआ। मुख्य अतिथि श्रीकाशी सुमेरु पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि भारत को अविलम्ब सनातन वैदिक हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए। सनातन वैदिक हिन्दू राष्ट्र घोषित हुए बिना भारत ही नहीं, अपितु विश्व में शान्ति एवं सद्भाव की कल्पना नहीं की जा सकती।
शंकराचार्य नरेन्द्रानंद सरस्वती ने आगे कहा कि मात्र सनातन धर्म ही विश्व मांगल्य की प्रेरणा देता है। सनातन धर्म का ही उद्घोष है- “सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुख भाग्भवेत्।’’
उन्होंने कहा कि केवल सनातन वैदिक व्यवस्था ही मानव के साथ-साथ समग्र सृष्टि का कल्याण कर सकती है। धर्मनिरपेक्षता के नाम पर सनातनधर्मियों के साथ भेदभाव होता रहा है, जिसका व्यापक और निर्णायक प्रतिकार आवश्यक है। भेदभाव की स्थिति यह है कि हमारे महत्वपूर्ण मन्दिरों का अधिग्रहण सरकार ने कर लिया है। लेकिन किसी भी सरकार में यह साहस नहीं कि एक भी मस्जिद या चर्च का अधिग्रहण कर सके। यह कैसी धर्मनिरपेक्षता है, जिसमें विद्यालय खोल कर इस्लाम और ईसाइयत की शिक्षा तो दी जा सकती है। लेकिन सनातन धर्मग्रन्थों (वेद, पुराण, उपनिषद्, श्रीमद्भगवद्गीता आदि) की शिक्षा प्रतिबंधित है। इसी स्थिति को बदलने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा जब देश का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ था, तो भारत को उसी समय सनातन वैदिक हिन्दू राष्ट्र घोषित हो जाना चाहिए था।
सन्त सम्मेलन में अन्य सन्तों ने भी अपने विचार रखे। सम्मेलन का संचालन रामदेशिक प्रयागराज के शास्त्रीजी ने किया। सम्मेलन में प्रमुख रूप से जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी घनश्यामाचार्य, जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य, आचार्य बाड़ा प्रबन्धन समिति के अध्यक्ष स्वामी महाराज सहित सैकड़ों सन्त महापुरुष उपस्थित थे।