पुलिस चार्जशीट दाखिल तो अपराध से बरी हुए बगैर नहीं की जा सकती नियुक्ति
पुलिस भर्ती में सफल को चार्जशीट के कारण ज्वाइन कराने से इंकार पर कोर्ट का हस्तक्षेप नहीं
प्रयागराज, 26 अप्रैल । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग लड़की से दुराचार के आरोप में आरोपित को पुलिस फोर्स में ज्वाइन न कराने के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है।
कोर्ट ने कहा कि पुलिस का चरित्र व विश्वसनीयता सही होनी चाहिए। अपराध में बरी होने तक नियुक्ति पाने का अधिकार नहीं है। स्क्रीनिंग कमेटी के फैसले पर हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने सुधीर कुमार की याचिका पर दिया है।
याची ने चयन की सारी बाधाएं पार कर ली। किंतु अंतिम नियुक्ति में उसके आचरण ने स्वयं ही अवरोध उत्पन्न कर दिया। उसके खिलाफ अपहरण, धोखाधड़ी, षड्यंत्र, नाबालिग से दुराचार के गम्भीर आरोप में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी है। हालांकि इससे पहले कोर्ट ने अवतार सिंह केस के फैसले के आलोक में विचार करने का निर्देश दिया था। जिसे अस्वीकार कर दिया गया तो यह याचिका दायर की गई। याची को ज्वाइन करने की अनुमति नहीं दी गई। कोर्ट ने तमाम फैसलों पर विचार करते हुए हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है।