हाईकोर्ट ने आयकर अधिकारियों को दिया नसीहत
हाईकोर्ट ने आयकर अधिकारियों को दिया नसीहत
प्रयागराज, 07 मई। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आयकर विभाग के अधिकारियों को भविष्य में न्यायिक अनुशासन एवं प्रोपराइटी को ध्यान में रखते हुए कार्य करने की नसीहत दी है। कोर्ट ने कहा कि आदेश के खिलाफ अपील दाखिल होने मात्र से आदेश की अवहेलना करने की छूट नहीं मिल जाती। अपील करने से आदेश न मानने का आधार नहीं मिल जाता, बशर्ते स्थगनादेश पारित न हुआ हो।
न्यायालय ने कहा अनुच्छेद 141के तहत सुप्रीम कोर्ट के आदेश पूरे देश में बाध्यकारी होते हैं। उसी तरह अनुच्छेद 226 व 227 के आदेश प्रदेश में बाध्यकारी प्रभाव रखते हैं। कोर्ट ने आयकर विभाग के अपर आयुक्त द्वारा बिना शर्त माफी मांगने पर अवमानना कार्यवाही नहीं की और भविष्य में सावधानी बरतने की नसीहत दी है।
न्यायालय ने मियाद बीत जाने के बाद धारा 148 की नोटिस व वसूली कार्रवाई आदेश को अधिकार क्षेत्र से बाहर मानते हुए रद्द कर दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एस पी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने मोहन लाल संतवानी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
याचिका पर भारत सरकार के अधिवक्ता अरविंद गोस्वामी व आयकर विभाग के अधिवक्ता गौरव महाजन ने पक्ष रखा। कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर जवाब न दाखिल करने पर पूर्व में लगाया गया पांच हजार रुपए हर्जाना आयकर विभाग द्वारा जमा किया गया और संक्षिप्त हलफनामा भी दाखिल किया गया। न्यायालय ने महानिबंधक को इस आदेश को आयकर विभाग में भेजने का निर्देश दिया है।