हाईकोर्ट का यूपी आर्थिक अपराध विंग की विवेचना पर टिप्पणी

-कहा, आर्थिक अपराध के अंतविहीन विवेचना की मॉनीटरिंग का कोई सिस्टम नहीं -कोर्ट ने मुख्य सचिव व डीजीपी से मांगा हलफनामा

हाईकोर्ट का यूपी आर्थिक अपराध विंग की विवेचना पर टिप्पणी

प्रयागराज, 17 मार्च (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश की आर्थिक अपराध विंग की आर्थिक अपराध की अंतहीन विवेचना पर तीखा कटाक्ष किया है और कहा है कि लगता है इसकी विवेचना की मानीटरिंग का कोई सिस्टम नहीं है। आर्थिक अपराध विंग वर्षों बाद अभियुक्त का जब दरवाजा खटखटाती है तो वह कोर्ट में आता है। कोर्ट ने कहा प्रदेश की आर्थिक अपराध विंग अपराध की विवेचना करने के लिए गम्भीर नहीं है।

कोर्ट ने कहा डीजीपी राज्य पुलिस के मुखिया हैं और मुख्य सचिव इसके प्रशासनिक मुखिया हैं। कोर्ट ने इन दोनों अधिकारियों से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है।

कोर्ट ने इन दोनों अधिकारियों से पूछा है कि आर्थिक अपराध शाखा में अपराध की विवेचना लम्बे समय तक लटकी क्यों रहती है। विवेचना में देरी की जवाबदेही तय की जाती है। यदि हां तो अब तक कितने अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई।

कोर्ट ने इन अधिकारियों से आर्थिक अपराध शाखा के पास कुल लम्बित मामलों की जानकारी मांगी है और कहा है कि विवेचना की मानीटरिंग का कोई सिस्टम न हो तो सिस्टम तैयार किया जाय। अर्जी की अगली सुनवाई 16 अप्रैल को होगी। तब तक या पुलिस रिपोर्ट पेश होने तक गिरफ्तारी के समय याची को 50 हजार रूपए के मुचलके व दो प्रतिभूति लेकर सशर्त अग्रिम जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया है। तथा विवेचना अधिकारी को विवेचना पूरी करने का भी आदेश दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल ने थाना जलालपुर जिला जौनपुर के भ्रष्टाचार मामले में अभियुक्त विजय कुमार दूबे की अग्रिम जमानत अर्जी की सुनवाई करते हुए दिया है।

याची का कहना है कि 24 फरवरी 2012 को एफआईआर दर्ज की गई। याची नामित अभियुक्त नहीं है। विवेचना जारी है। अभी तक चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है। 31 जनवरी 25 को नोटिस मिलने पर पता चला कि याची अपराध की विवेचना में वांछित है। एक सह अभियुक्त सुरेश चंद्र को अग्रिम जमानत मिल चुकी है। इसलिए याची को भी राहत दी जाय। कोर्ट ने कहा अक्सर देखने में आया है कि प्रदेश की आर्थिक अपराध विंग मामले की विवेचना लटकाये रखती है। सरकारी वकील ने भी कहा विवेचना लम्बित है।

कोर्ट ने कहा कि पूछने पर सफाई दी जाती है कि मामला बड़ा है। विंग को भी शीघ्र विवेचना की आवश्यकता महसूस नहीं होती। मानीटरिंग का कोई सिस्टम नहीं है। अंतहीन विवेचना की जा रही है। लिप्त लोगों द्वारा साक्ष्य मिटाये या छेड़छाड़ किए जाते हैं। आर्थिक भ्रष्टाचार की लम्बे समय तक विवेचना लटकाये रखने की अनदेखी नहीं की जा सकती। कोर्ट ने डीजीपी व मुख्य सचिव से तीन हफ्ते में हलफनामा मांगा है।

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