हाईकोर्ट ने मशहूर कॉमेडियन कुणाल कामरा के खिलाफ दर्ज मुकदमा पर हस्तक्षेप से इंकार
हाईकोर्ट ने मशहूर कॉमेडियन कुणाल कामरा के खिलाफ दर्ज मुकदमा पर हस्तक्षेप से इंकार
प्रयागराज, 29 अप्रैल । मशहूर कॉमेडियन कुणाल कामरा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप से इन्कार कर दिया।
हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर मजिस्ट्रेट कोर्ट व सत्र न्यायाधीश वाराणसी के आदेशों को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत याची की कॉमेडियन के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करने की धारा 156(3) में दाखिल अर्जी को अस्वीकार कर दिया गया था।
याचिकाकर्ता अधिवक्ता सौरभ तिवारी की ओर से दाखिल याचिका में कॉमेडियन कुणाल कामरा पर सुप्रीम कोर्ट की बिल्डिंग पर फहराये गए तिरंगे में एडिटिंग का आरोप है। आरोप है कि कामरा ने गलत मंशा के साथ एडिटिंग कर राजनैतिक पार्टी का झंडा लगाया और ट्विटर पर उसे पोस्ट भी कर दिया। जिससे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का अपमान हुआ है।
याची अधिवक्ता ने राष्ट्र गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 के तहत कॉमेडियन कुणाल कामरा के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी। याचिका में राज्य सरकार, कॉमेडियन कुणाल कामरा और एसएचओ लंका थाना वाराणसी को पक्षकार बनाया गया था।
गौरतलब है कि कॉमेडियन कुणाल कामरा ने 11 नवम्बर 2020 को यह विवादित ट्वीट किया था। जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ भी अमर्यादित टिप्पणी की थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अवमानना की सुनवाई चल रही है। वहीं हाईकोर्ट में याचिका राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के अपमान को लेकर प्राथमिकी दर्ज करने के लिए दाखिल की गई थी। याची के मुताबिक उसने इस मामले में वाराणसी के लंका थाने में मुकदमा दर्ज करने के लिए तहरीर दी थी। मुकदमा दर्ज न होने पर सेशन कोर्ट में मुकदमा दर्ज करने की मांग को लेकर अर्जी दाखिल की थी।
हालांकि सेशन जज ने अर्जी इस आधार पर खारिज कर दी थी कि यह हमारे क्षेत्राधिकार का मामला नहीं है। जिसके बाद याची ने मजिस्ट्रेट व सेशन जज वाराणसी के फैसले को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। इस मामले में हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस राहुल चतुर्वेदी ने हस्तक्षेप नहीं किया, परंतु कहा कि याची के पास सीआरपीसी के तहत वैकल्पिक उपचार प्राप्त है और वह उसका प्रयोग कर सकता है।