गोस्वामी तुलसीदास ने सनातन धर्म को प्रदान की जीवनशक्ति

'तुलसी के राम' विषयक शोध-संगोष्ठी का आयोजन

गोस्वामी तुलसीदास ने सनातन धर्म को प्रदान की जीवनशक्ति

मीरजापुर, 12 अगस्त । 'तुलसी-जयन्ती' की श्रृंखला में श्रीवृद्धेश्वरनाथ मन्दिर गिरिजापुर, बूढ़ेनाथ मार्ग के आस्थान-मंडप में 'तुलसी के राम' विषयक शोध-संगोष्ठी का आयोजन रविवार शाम को आरम्भ हुआ।

श्रीवृद्धेश्वरनाथपीठाधीश्वर महन्त डा. योगानन्द गिरि महाराज के सभापतित्व, भाजपा जिलाध्यक्ष बृजभूषण सिंह के मुख्यातिथ्य एवं आर्ट ऑफ लिविंग के प्रदेश सह सेवा संयोजक भागवताचार्य कृष्णानन्द के विशिष्टातिथ्य में समारोह का शुभारम्भ श्रीबूढ़ेनाथ जी के पूजन एवं गोस्वामी तुलसीदासजी के चित्र पर माल्यार्पण और दीप-प्रज्ज्वलन के साथ हुआ।

कार्यक्रम के प्रथम चरण में भजनानन्दी जटाशंकर, लोकगीत गायिका रानी सिंह एवं मृदंगाचार्य पप्पू के निर्देशन में श्रीरामचरितमानस के पंचम सोपान सुन्दरकाण्ड का संगीतमय पाठ हुआ।

शिक्षाविद् एवं साहित्यकार पं. ब्रजदेव पांडेय एवं नवगीतकार गणेश गम्भीर को गोस्वामी तुलसीदास सम्मान से विभूषित किया गया।

पं. ब्रजदेव पांडेय ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास कलिपावनावतार हैं। जब विदेशी आक्राताओं और विधर्मी मुग़लों के कदाचार से भारतीय प्रजा निराशा के घनान्धकार में डूबी हुई थी, तब गोस्वामी तुलसीदास ने सनातन धर्म को जीवनीशक्ति प्रदान की।

मुख्य वक्ता साहित्यभूषण डॉ. अनुजप्रताप सिंह ने गोस्वामी तुलसीदास के जीवन और साहित्य के अनेक पहलुओं पर प्रकाश डाला।

आचार्य गणेशदेव पांडेय ने तुलसी के राम की मनोहारी व्याख्या की। विशिष्ट अतिथि भागवताचार्य कृष्णानन्द महाराज ने तुलसीदास के जीवन और साहित्य पर अधिकाधिक शोध करने पर बल प्रदान किया, वहीं वरिष्ठ समाजसेवी राजेश सिंह राष्ट्रवादी ने विंध्यक्षेत्र में प्रभु श्रीराम के सन्दर्भ की चर्चा करते हुए 'बाल्मीकि तुलसी भये तुलसी रामग़ुलाम' की सन्दर्भसहित व्याख्या की।

कार्यक्रम के द्वितीय चरण में कविगोष्ठी का आयोजन किया गया। नवगीतकार गणेश गम्भीर ने तुलसी के राम के साथ सबके राम को अपनी कविता का विषय बनाया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. जितेन्द्रमार सिंह 'संजय' ने किया।