सही तथ्य न पेश होने से अभियुक्तों को मिल रही जमानत पर कोर्ट गम्भीर, सरकार से मांगी रिपोर्ट
तथ्यों के अभाव में सह अभियुक्त को मिली जमानत को पैरिटी पर रिहा करने का एकमात्र आधार नहीं : हाईकोर्ट
प्रयागराज, 05 अगस्त । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकारी वकील की सही तैयारी न होने व कोर्ट में तथ्य पेश न किए जा सकने के कारण अभियुक्त को जमानत पर रिहा किये जाने को गम्भीरता से लिया है। हाईकोर्ट ने अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल को छह हफ्ते में रिपोर्ट तैयार कर 15 सितम्बर को कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने कहा है कि यह देखें कि सरकारी वकील को केस की तैयारी का उचित समय मिले ताकि जमानत अर्जी की सुनवाई के दौरान कोर्ट में केस के सही तथ्य पेश किये जा सके। कोर्ट ने कहा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में राज्य सरकार सबसे बड़ी वादकारी है। हर दिन एक हजार जमानत अर्जी दाखिल हो रही है। बिना सही तैयारी के अभियुक्तों को जमानत मिल जा रही है और सह अभियुक्त को मिली जमानत की पैरिटी के आधार पर जमानत पर रिहा करने की मांग की जा रही है। इसलिए राज्य विधि अधिकारियों को सहूलियत दी जानी चाहिए।
कोर्ट ने कहा है कि कुछ अभियुक्तों को जमानत मिलने के आधार पर पैरिटी का दावा कर जमानत पर रिहा करने का एकमात्र आधार नहीं हो सकती। जमानत देने के लिए जरूरी तथ्यों पर गौर किया जाना जरूरी है। कोर्ट में सही तथ्य प्रस्तुत न होने के कारण सह अभियुक्त को मिली जमानत की पैरिटी के आधार पर आरोपी को जमानत का अधिकार नहीं मिल जाता। कोर्ट ने कहा जमानत एक नियम है और जेल अपवाद। जमानत दी जाय या नहीं यह न्यायाधीश के न्यायिक विवेक पर निर्भर करता है।
कोर्ट ने 10 बजे रात दूकान में घुस कर छह लोगों द्वारा चापड़ आदि से हत्या करने के आरोपी की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने कोतवाली फतेहपुर के शोएब की अर्जी पर दिया है।
मालूम हो कि 15 मई 19 को छह लोग सानू की दूकान में आए और बाहर खींच कर धारदार हथियार से हमला कर दिया। जिसमें एक की मौत व कई घायल हो गए। बचाने के लिए दौड़ कर आते चश्मदीद गवाह भी घायल हुए हैं। मृतक के शरीर पर सात गम्भीर चोटें आई। जिससे उसकी मौत हुई। बयानों से स्पष्ट है कि याची भी घटना के समय मौके पर मौजूद था।