अनुकम्पा पर नियुक्त टीचरों को ओल्ड पेंशन के तहत जीपीएफ कटौती से कोर्ट ने किया इंकार
हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब, 15 मई को होगी केस की सुनवाई
प्रयागराज, 11 अप्रैल। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनुकम्पा के तहत नियुक्त हुए टीचरों को ओल्ड पेंशन के तहत जीपीएफ कटौती करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर फिलहाल कोई राहत नहीं दिया। कोर्ट ने इस याचिका पर सरकार से 2 सप्ताह में जवाब मांगा है। अदालत इस याचिका पर 15 मई को सुनवाई करेगी।
याचिका में यूपी सरकार द्वारा अनुकम्पा नियुक्ति के अन्तर्गत न्यू पेंशन स्कीम लागू होने के पहले नियुक्त होने के आधार पर याची टीचरों द्वारा ये मांग की गई है कि 28 मार्च 2005 को जारी न्यू पेंशन स्कीम के अंतर्गत याची नहीं आते। क्योंकि उनकी नियुक्ति एनपीएस लागू होने के पहले की गई है। भले ही बीटीसी ट्रेनिंग सर्टिफिकेट एनपीएस लागू होने के बाद जारी किया गया है।
याचियों का सितम्बर 2005 से जीपीएफ कटौती रोकने के आदेश को याचिका में चुनौती दी गई है। याचियों का कहना है कि एनपीएस का भूतलक्षी प्रभाव नहीं हो सकता है। हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार, बेसिक शिक्षा अधिकारी ललितपुर, सचिव बेसिक शिक्षा परिषद व अन्य विपक्षियों से 2 सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है।
यह आदेश जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव ने कमल कुमार कुशवाहा व 2 अन्य की ओर से दायर की गई याचिका पर पारित किया है। याची जिला ललितपुर में बेसिक एजुकेशन विभाग में असिस्टेंट टीचर के पद पर कार्यरत हैं। कोर्ट ने याचिका पर अंतरिम राहत देने से यह कहते हुए इंकार कर दिया कि हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी स्वीकार होकर सिविल अपील में कन्वर्ट हो गई है। कोर्ट ने कहा चूंकि पेंशन का यह मामला सुप्रीम कोर्ट की न्यायिक परीक्षण में है, इसलिए इस मामले में कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया जा सकता।