विंध्य पर्वत और मां गंगा के मिलन स्थल पर श्रद्धा, विश्वास व आस्था का समागम

नवरात्र के प्रथम दिन मां विंध्यवासिनी के शैलपुत्री स्वरूप के दर्शन को उमड़े श्रद्धालु

विंध्य पर्वत और मां गंगा के मिलन स्थल पर श्रद्धा, विश्वास व आस्था का समागम

आदिशक्ति जगत जननी मां विंध्यवासिनी धाम में शनिवार को चैत्र नवरात्र मेला शुरु हो गया। नौ दिन तक हिन्दुस्थान समाचार आपके साथ मां विंध्यवासिनी के नौ स्वरूपों की कहानी साझा करेगा। पहले दिन मां विंध्यवासिनी के दरबार चलते हैं। यहां रात से ही आस्था का संगम देखने को मिल रहा है। विंध्य पर्वत और मां गंगा के मिलन स्थल विंध्यधाम में मां विंध्यवासिनी के दर्शन के लिए श्रद्धालु आने शुरू हो गए हैं। सुबह की मंगला आरती के साथ नवरात्र मेले की भी शुरुआत हो गई है। श्रद्धालुओं में काफी उत्साह है।

दरअसल, कोरोना काल में नवरात्र में दर्शन-पूजन प्रतिबंधित होने के बाद पहली बार चैत्र नवरात्र पर भक्त मां के दिव्य स्वरूप का दर्शन कर पा रहे हैं।

चैत्र नवरात्र के प्रथम दिन आदिशक्ति जगत जननी मां विंध्यवासिनी की चौखट पर श्रद्धा, विश्वास व आस्था का समागम दिखा। शनिवार तड़के ही मां विंध्यवासिनी के शैलपुत्री स्वरूप के दर्शन को श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। हर कोई मां की झलक पाने को लालायित दिखा। कोरोना काल के दो साल बाद बंदिशों से मुक्त आस्था की डगर पर अलौकिक छटा बिखरी तो नवरात्र मेले की रौनक लौट आई।

नवरात्र के पहले दिन मां का दर्शन करने का अपना अलग ही महात्म है। चाहे वह चैत्र नवरात्र हो या शारदीय नवरात्र। प्रथम दिन शनिवार भोर से ही भक्तों के आने का सिलसिला शुरू हो गया। भोर की मंगला आरती के बाद विंध्यधाम एक बार फिर घंटा-घड़ियाल के बीच मां विंध्यवासिनी के जयकारे से गुंजायमान हो उठा। हाथ में नारियल, चुनरी, माला-फूल प्रसाद के साथ कतारबद्ध श्रद्धालु मां की भक्ति में लीन दिखे। मां विंध्यवासिनी का भव्य श्रृंगार किया गया था। मंदिर भी प्राकृतिक फूलों व रंग-बिरंगी झालरों से सजाया गया था, जो अलौकिक छटा बिखेर रहा था। कोई झांकी तो कोई गर्भगृह से मां विंध्यवासिनी का दर्शन-पूजन कर मंगलकामना किया। मां विंध्यवासिनी के दर्शन-पूजन के बाद मंदिर परिसर पर विराजमान समस्त देवी-देवताओं के चरणों में शीश झुकाया। हवन-कुंड की परिक्रमा की।

इसके बाद विंध्य पर्वत पर विराजमान मां अष्टभुजा व मां काली के दर्शन को पैदल निकल पड़े। मां अष्टभुजा व मां काली का दर्शन करने के बाद श्रद्धालुओं ने मंदिर के पास रेलिंग पर चुनरी बांध मन्नतें मांगी। इसके बाद शिवपुर स्थित तारा मंदिर के दर्शन को निकल पड़े। मां तारा मंदिर पहुंच पूजन-अर्चन किया। भक्तों को दो साल बाद कोरोना की बंदिशों से मुक्त होकर नवरात्र के समय त्रिकोण परिक्रमा करने का मौका मिला। भक्तों ने भी यह मौका नहीं छोड़ा और त्रिकोण परिक्रमा कर सुख-समृद्धि की कामना की। गंगा घाटों पर भी स्नानार्थियों की भीड़ दिखी। दर्शन-पूजन के बाद वापस लौटते समय श्रद्धालुओं ने प्रसाद के रूप में जरूरत के सामानों की खरीदारी की। वहीं बच्चे भी माता-पिता से जिद कर मन-पसंद खिलौने खरीदे। श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद किए गए हैं। सीसीटीवी कैमरा से मेला क्षेत्र की निगहबानी की जा रही है। चप्पे-चप्पे पर पुलिसककर्मी तैनात हैं। वहीं पंडा समाज भी भक्तों की सेवा में जुटा रहा।

चैत्र नवरात्र से काफी उम्मीदें, दुकानदार खुश

कोरोना के चलते पिछले दो साल से नवरात्र के समय विंध्यवासिनी मंदिर बंद रहने से आर्थिक तंगी झेल रहे विंध्याचल के दुकानदार काफी मायूस थे। इन दुकानदारों को चैत्र नवरात्र से काफी उम्मीद है। नवरात्र के प्रथम दिन श्रद्धालुओं की संख्या देख दुकानदार काफी खुश दिखे।