प्रदेश के स्टैम्प एंड रजिस्ट्रेशन विभाग में 392 रजिस्ट्रेशन क्लर्कों के गलत विनियमितीकरण का मामला
धांधली जांच की कोर्ट आदेश की हाईकोर्ट ने सरकार से मांगी जानकारी
प्रयागराज, 14 अप्रैल । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के स्टैम्प एंड रजिस्ट्रेशन विभाग के अधिकारियों द्वारा 392 रजिस्ट्रेशन क्लर्कों के विनियमितीकरण में हुई धांधली के जांच की जानकारी सरकार से मांगी है। कोर्ट ने कहा है कि हाईकोर्ट के दो जजों की बेंच ने प्रदेश के मुख्य सचिव को इस मामले में जांच कर चार माह के भीतर हाईकोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था, इस पर क्या कार्यवाही हुई।
सरकारी वकील ने कोर्ट से हाईकोर्ट के दो जजों की बेंच द्वारा पारित आदेश के सम्बंध में की गई कार्रवाई को लेकर अदालत को बताने के लिए एक सप्ताह के समय की मांग की है। कोर्ट ने एक सप्ताह बाद 20 अप्रैल को इस केस की सुनवाई करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति इरशाद अली ने प्रहलाद सिंह की याचिका पर दिया है।
याची के अधिवक्ता अमरेंद्र कुमार वाजपेई व तपस्या बाजपेई ने कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट के दो जजों की खंडपीठ द्वारा पारित आदेश के बावजूद अभी तक इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं की गई है। दोषी अधिकारियों से पैसों की वसूली किया जाना है। जिससे सरकार को आर्थिक क्षति हुई है।
मालूम हो कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस अरुण टंडन व जस्टिस सुनीता अग्रवाल की खंडपीठ ने 5 अक्टूबर 2017 को निर्देश दिया था पब्लिक फंड का राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा दुरुपयोग हुआ है। 392 रजिस्ट्रेशन क्लर्कों का विभाग में विनियमितीकरण गलत तरीके से किया गया है और सरकार को आर्थिक क्षति पहुंचाई गई है। कोर्ट ने मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया था, इस मामले का संज्ञान लेकर जांच कराएं। कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में स्टैम्प एंड रजिस्ट्रेशन विभाग के अन्य अधिकारियों के अलावा आईजी रजिस्ट्रेशन इलाहाबाद के भी रोल की जांच की जाए। कोर्ट ने निर्देश दिया था कि सरकार को आर्थिक क्षति पहुंचाने वाले दोषी अधिकारियों से पैसों की वसूली की कार्यवाही की जाए।