सचिवालय के अपर निजी सचिवों की भर्ती के लिए जारी अधिसूचना पर रोक
सचिवालय के अपर निजी सचिवों की भर्ती के लिए जारी अधिसूचना पर रोक
प्रयागराज, 25 सितम्बर। आयोग के पूर्व की परीक्षाओं में सीबीआई जांच चलने के आधार पर पहले से जारी यूपी सिविल सचिवालय में अपर निजी सचिवों की चयन प्रक्रिया को रोक कर नये सिरे से इस भर्ती के लिए प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा 24 अगस्त 2021 को जारी अधिसूचना पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है।
कोर्ट ने आयोग और प्रदेश सरकार से दो सप्ताह में याचिका पर जवाब मांगा है। याचिका में कहा गया है कि अपर निजी सचिवों की भर्ती प्रक्रिया वर्ष 2013 में शुरू की गई थी, मगर इसे बीच में ही रोक दिया गया और नौ साल बाद पूर्व की चयन प्रक्रिया को रद्द कर नई अधिसूचना जारी की गई है।
जयकरन, राजू कुमार सहित कई अभ्यर्थियों की याचिकाओं पर न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव की एकल पीठ ने सुनवाई की। याचीगण की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना था कि लोक सेवा आयोग ने वर्ष 2013 में अधिसूचना जारी कर अपर निजी सचिवों की नियुक्ति प्रक्रिया जारी की गई। इसके तहत स्टेनोग्राफी व टाइप टेस्ट के अलावा कंप्यूटर नॉलेज टेस्ट होना था। स्टेनोग्राफी व टाइप टेस्ट में याचीगण सफल रहे और कम्प्यूटर टेस्ट का इंतजार कर रहे थे। आयोग ने कम्प्यूटर टेस्ट के लिए कई तारीखें जारी की मगर हर बार किसी न किसी वजह से इसे टाल दिया गया। नौ साल बाद 24 अगस्त को परीक्षा नियंत्रक लोक सेवा आयोग ने अधिसूचना जारी कर नए सिरे से चयन प्रक्रिया शुरू करने हेतु आवेदन मांगे हैं।
अधिवक्ता का कहना था कि चयन प्रक्रिया को बीच में रद्द करना मनमाना है। इससे याचीगण को नुकसान होगा। स्टेनोग्राफी और टाइपिंग के लिए नियमित अभ्यास की आवश्यकता होती है। चूंकि याचीगण इस चरण को पास कर चुके हैं इसलिए उनको सिर्फ कम्प्यूटर टेस्ट की उम्मीद थी। पूर्व की चयन प्रक्रिया बिना किसी औचित्य के रद्द की गई है। इसका कोई कारण नहीं बताया गया।
आयोग के अधिवक्ता का कहना था कि आयोग की कई परीक्षाओं में धांधली के आरोप में सीबीआई जांच चल रही है। इसलिए आयोग ने पूर्व में लिया गया टेस्ट निरस्त करने का निर्णय लिया है। कोर्ट ने आयोग और प्रदेश सरकार को दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए 24 अगस्त की अधिसूचना पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी है। याचिका पर 27 अक्टूबर को अगली सुनवाई होगी।