पूर्वांचल में भाजपा की वापसी अब आसान नहीं,सहयोगी दलों से लोगों की नाराजगी भारी पड़ी

बेमेल गठबंधन ने भाजपा को दिखाया आईना,प्रधानमंत्री मोदी का मैजिक भी नहीं आया काम

पूर्वांचल में भाजपा की वापसी अब आसान नहीं,सहयोगी दलों से लोगों की नाराजगी भारी पड़ी

वाराणसी, 05 जून । पूर्वांचल के जिलों में लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम ने सियासी पंडितों को भी चौका दिया है। एक बार फिर जातीय समीकरणों के उभार से भाजपा को वाराणसी छोड़ पूर्वांचल के जिलों में करारी हार का सामना करना पड़ा है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित अन्य स्टार प्रचारकों के कई जनसभाओं और रोड शो भाजपा गठबंधन दल के नेताओं को कामयाबी दिला नहीं पाया। आने वाले चुनावों में भी अब भाजपा के लिए इन जिलों में वापसी आसान नहीं होगी। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मैजिक काल के दौर में पूर्वांचल के इन जिलों में जातिगत तिलिस्म को तोड़कर भाजपा के लिए उर्वरा सियासी भूमि बना दिया था। वह कुछ हद तक 2019 के लोकसभा चुनाव तक बरकरार रहा। इसके बाद भाजपा के उन जिलों से चुने गए सांसदों की निष्क्रियता और पार्टी संगठन के पदाधिकारियों के बड़बोलेपन ने पार्टी के प्रति आमजन का नजरिया ही बदल दिया। ऐसे में लोकसभा चुनाव में पूर्वांचल के जिलों में अच्छे और समर्पित नेताओं को टिकट देने के बजाय फिर उन्हें दोहराना, लोगों के विरोध के बाद भी उन्हीं नेताओं या आयातित नेताओं को टिकट देना भारी पड़ गया।

सियासी पंडितों का मानना है कि भाजपा ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) जैसे दल से विरोध के बावजूद गठबंधन कर लिया, कि उनके समाज का वोट उन्हें थोक भाव में मिल जाएगा। चुनाव परिणाम ने भाजपा नेतृत्व को भी आईना दिखा दिया। सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के बड़बोलेपन से समाज का एक बड़ा तबका नाराज रहता है। खास कर सवर्ण और ओबीसी समाज। ओपी राजभर के दबाव और अपने हित में भाजपा ने भले ही इनके साथ गठबंधन कर लिया, लेकिन आमजन ने इनके गठबंधन से दूरी बना ली। ओम प्रकाश राजभर को भाजपा से समझौते के तहत मिली सीट घोसी में ये नजारा दिखा।

ओपी राजभर के पुत्र डा. अरविंद राजभर को सपा के राजीव राय ने 162943 मतों से सियासी पटखनी दे दी। यहां सवर्ण समाज के नाराजगी की जानकारी भाजपा के शीर्ष नेताओं को भी रही। इसके बाद भी सत्तारूढ़ दल के नेताओं ने जनभावनाओं का सम्मान नहीं दिया। खास बात यह रही कि एक सियासी जनसभा में प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सुनियोजित प्रचार के हिस्से में प्रत्याशी डा. अरविंद राजभर के बांह पर एक धौल जमाकर संदेश देना चाहा कि इस समाज के साथ किस कदर उनका जुड़ाव है। यहां लोगों का नाराजगी दूर करने का प्रधानमंत्री मोदी का कोई सियासी पैतरा यहां काम नहीं आया। लोकसभा चुनाव के अन्तिम चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अरविंद राजभर को पंच जमाता वीडियो भाजपा आईटी सेल ने तेजी से वायरल किया था।