एमटीजी इंफ्रा पॉवर लिमिटेड के निदेशक की अग्रिम जमानत याचिका खारिज

कोर्ट ने कहा, यह फोरम हंटिंग का मामला, याची अदालतों के उपयोग करने का आदी

एमटीजी इंफ्रा पॉवर लिमिटेड के निदेशक की अग्रिम जमानत याचिका खारिज

प्रयागराज, 21 जुलाई (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 482 के तहत प्राथमिकी रद्द करने की मांग वाली याचिका पर राहत न मिलने के बाद अग्रिम जमानत की मांग वाली याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता। यह फोरम हंटिंग के समान है। याची गिरफ्तारी से बचने के लिए अदालतों के उपयोग करने का आदी हो चुका है। लिहाजा कोर्ट ने कानपुर के याची संदीप कुमार गर्ग की अग्रिम जमानत दिए जाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी।

याचिका पर न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की पीठ विचार कर रही थी। याची के खिलाफ कानपुर नगर में धोखाधड़ी और कागजों में हेराफेरी करने सहित आपराधिक षड़यंत्र का मामला दर्ज किया गया था। याची एमटीजी इंफ्रा पॉवर प्राइवेट लिमिटेड में निदेशक है।


निदेशकों के द्वारा इस बात पर सहमति बनी थी कि कंपनी राज्य के विभागों में ठेके के लिए निविदाएं दाखिल करेगी और जारी होने वाली राशि प्राथमिकी में शामिल आरोपियों के संयुक्त खाते में जमा की जाएगी। 30 सितंबर 2013 को कंपनी के पक्ष में 10 निविदाएं जारी की गईं, लेकिन याची और सह आरोपियों सोमेंद्र मेहता और रोमेंद्र मेहता ने विश्वासघात करते हुए उक्त राशि अलग अलग खाता संख्या में जमा कराई। इस तरह याची और नामित सह आरोपियों द्वारा अन्य अज्ञात आरोपियों की मिलीभगत से पूरी धनराशि हड़प ली गई।


याची और सह आरोपियों ने आधिकारिक रिकॉर्ड में जाली दस्तावेज और फर्जी बैंक गारंटी संबंधित अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत किया है। इसके बाद पीएनबी बरेली में एक और बैंक खाता खोला गया। उसमें 19 करोड़ रुपये जमा किए गए। जिसे याची और अन्य सह आरोपियों ने अवैध रूप से डेबिट कर लिया। याची ने अवैध रूप से दुर्भावनापूर्ण इरादे से लगभग डेढ़ करोड़ रुपये सितंबर, अक्तूबर 2017 में सिविल लाइन कानपुर नगर में नया खाता खोलकर उसमें जमा कर दिया।



याची संदीप कुमार गर्ग और सह आरोपियों द्वारा तकरीबन 30 करोड़ रुपये इस अकाउंट में जमा किए गए और निकाले गए। पक्षकारों की ओर से कहा गया कि याचियों ने पहले ही सीआरपीसी की धारा 482 के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। कोर्ट ने पूर्व में दाखिल याचिका पर कोई स्थगन आदेश नहीं दिया है। इसलिए अग्रिम जमानत की याचिका दाखिल की। कोर्ट ने कहा कि यह फोरम हंटिंग के समान है। क्योंकि याची जो विभिन्न अदालतों का प्रयोग करने का आदी है स्वयं जान बूझकर गिरफ्तारी से बच रहे हैं।



कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामला सिविल प्रकृति का नहीं है। मौजूदा मामले में प्राथमिकी को चुनौती दी गई है। कोर्ट ने पाया कि याची संदीप कुमार गर्ग के खिलाफ पांच केसों का आपराधिक इतिहास है। इन तथ्यों को देखते हुए कोर्ट ने याची की अग्रिम जमानत अर्जी नामंजूर कर दी।