अखिलेश यादव का एक्शन नेचुरल जस्टिस विरोधी, महिला विरोधी और अलोकतांत्रिक है : डॉ रिचा सिंह

अखिलेश यादव का एक्शन नेचुरल जस्टिस विरोधी, महिला विरोधी और अलोकतांत्रिक है : डॉ रिचा सिंह

अखिलेश यादव का एक्शन नेचुरल जस्टिस विरोधी, महिला विरोधी और अलोकतांत्रिक है : डॉ रिचा सिंह

प्रयागराज, 17 फरवरी । अखिलेश यादव का एक्शन नेचुरल जस्टिस विरोधी, महिला विरोधी और अलोकतांत्रिक है। मुझसे कहा गया था कि मैं स्वामी प्रसाद मौर्य के वक्तव्य का विरोध छोड़ दूं। मैंने इंकार कर दिया। इसीलिए मुझे बिना नोटिस और बिना कारण बताए निकाला गया है।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पूर्व अध्यक्ष एवं सपा की पूर्व प्रवक्ता डॉ रिचा सिंह ने वार्ता करते हुए बताया कि प्राकृतिक न्याय कहता है कि किसी के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले उसको कारण बताओ नोटिस जारी कर उससे स्पष्टीकरण और उसका पक्ष जाना जाय। अखिलेश यादव ने ऐसा नहीं किया। साथ ही निष्कासन का कोई कारण भी नहीं बताया, शायद कोई कारण है भी नहीं। अखिलेश कारण बताने की स्थिति में नहीं हैं। रामचरितमानस पर स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान का विरोध के अतिरिक्त मैंने पार्टी हितों के विरूद्ध कभी कुछ नहीं किया। जो पार्टी नेचुरल जस्टिस नहीं मानती वो सामाजिक न्याय क्या मानेगी।

उन्होंने कहा कि संविधान के भाग तीन में जिसमें हमारे मौलिक अधिकारों का वर्णन है (फंडामेंटल राइट), उस पृष्ठ की शुरुआत भगवान राम लक्ष्मण और माता सीता के चित्र से होती है। राम भारत की आत्मा हैं। ऐसे में भारत की आध्यात्मिक एवं संवैधानिक आत्मा के साथ मैं खड़ी थी और खड़ी रहूंगी। अगर भगवान राम का अपमान कर अखिलेश अपनी ही राजनीति करना चाहते हैं तो मैं इस सम्बंध में उन्हें याद दिला दूं कि महंत राजू दास जिनका विवाद स्वामी प्रसाद मौर्या से है वो पंडित या ठाकुर न होकर यादव समाज से आते हैं।

रिचा सिंह ने कहा कि मुझसे ज़्यादा स्वामी प्रसाद पर हमला समाजवादी पार्टी के कई पुरुष नेताओं ने भी किया है, परंतु उन्हें निकाल कर पार्टी अपनी विधायक संख्या घटाना नहीं चाहती। वो पुरुष हैं इसलिए भी उनके खिलाफ कुछ नहीं किया। महिलाओं पर एकतरफा कार्रवाई कर पार्टी ने अपनी महिला विरोधी मानसिकता का परिचय दिया है।

रिचा सिंह ने ट्वीट कर लिखा है ‘मैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पहली निर्वाचित महिला अध्यक्ष होने के बाद से ही लगातार निष्कासन का सामना कर रही हूं। यह कोई नया नहीं है। जब-जब गलत का विरोध किया, निष्कासन को झेला है। लेकिन महिषासुरों के खिलाफ डटकर खड़ी रही। इस बार फिर महिषासुर का वध होगा।’