तकनीकी आधार पर बरी होना, साफ बरी नहीं : हाईकोर्ट
नियुक्ति से इंकार सही, याचिका खारिज
प्रयागराज, 13 जुलाई । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि अभियोजन के संदेह से परे गम्भीर अपराध सिद्ध न कर पाने से तकनीकी आधार पर बरी होने को सम्मानजनक निर्दोष साबित होना नहीं माना जा सकता। नियोजक को सुसंगत तथ्यों पर विचार कर उचित निर्णय लेने का पूरा अधिकार है।
कोर्ट ने सुरक्षा बल भर्ती में तीन अपराधों में लिप्तता के कारण नियुक्ति से इंकार करने को सही करार दिया है और याचिका पर हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने गोविंद यादव की याचिका पर दिया है।
याची का कहना था कि उसके खिलाफ लूट, मारपीट के तीन आपराधिक केस दर्ज थे। जिनमें से दो में अभियोजन पक्ष संदेह से परे दोष साबित नहीं कर सका। जिस पर कोर्ट ने बरी कर दिया है और एक केस हल्के आरोप का है जो विचाराधीन है। सुप्रीम कोर्ट के अवतार सिंह केस के फैसले के अनुसार उसकी नियुक्ति पर विचार किया जाना चाहिए।
सरकारी वकील का कहना था कि लूट के अपराध गम्भीर हैं और सम्मानजनक निर्दोष करार नहीं दिया गया है। तकनीकी आधार पर बरी किया गया है। कोर्ट ने तकनीकी आधार पर अपराध से बरी होने को क्लीन ढंग से बरी होना नहीं माना और याचिका खारिज कर दी।