मुंशी प्रेमचंद रचित पंच परमेश्वर की नौटंकी प्रस्तुति ने दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी

स्वर्ग रंगमंडल की इस शानदार प्रस्तुति में कोरोना के प्रतिरक्षण संबंधी सभी नियमों का पालन सुनिश्चित किया गया

मुंशी प्रेमचंद रचित पंच परमेश्वर की नौटंकी प्रस्तुति ने दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी
कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी की कहानियां और नाटकों में जीवन के खट्टे मीठे मीठे अनुभव का जो मनमोहक सामंजस्य सम्मिश्रण दिखता है वह अतुलनीय है ,
मुंशी जी की कहानी में जहां न्याय के पद पर बैठकर सत्य से जरा भी न टलने और दूध का दूध और पानी का पानी करके न्याय करने की बात पर बल दिया गया है, वही अपने देश की साझा संस्कृति और सह अस्तित्व की बहुत ही खूबसूरत नुमाइश भी की गई है।

स्वर्ग मंडल के कलाकारों ने अतुल यदुवंशी के निर्देशकिय कौशल में पंच परमेश्वर को नौटंकी की पारंपरिक गायकी और शिल्प में ढालकर उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के प्रेक्षागृह में नौटंकी को नया आयाम दिया और मुंशी प्रेमचंद की इस कहानी को सार्थकता और कलात्मकता प्रदान की,

जुम्मन शेख और अलगू चौधरी भिन्न-भिन्न धर्म होने के बावजूद एक-दूसरे के अंतः मित्र हैं दोनों की मित्रता की पूरे गांव में लोग कसमें खाते हैं इन दोनों की मित्रता गांव से बाहर दूसरे गांव में भी दूर-दूर तक मशहूर है पत्नी के बहकावे में आकर जुम्मन खाला से बुरा व्यवहार करता है खाला अपना दुख की फरियाद लेकर पंच के पास जाती है गांव में पंच को परमेश्वर का दर्जा दिया जाता है

पंचायत के सरपंच पद पर आसीन अलगू चौधरी अपने मित्र जुम्मन के खिलाफ जाकर बूढ़ी खाला के पक्ष में फैसला सुनाते हैं जुम्मन मियां इस बात से अलगू चौधरी से नाराज हो जाते हैं दोनों की मित्रता अपनी वैमनस्य ता में बदल जाती है

इसके कुछ समय बाद अलगू चौधरी बैलों की खरीद-फरोख्त में महाजन के खिलाफ पंचायत में खड़े होते हैं परंतु पंच के आसन पर बैठने के बाद जुम्मन मियां वही फैसला सुनाती थी जो सच और सही होता है और फैसला अलगू चौधरी के पक्ष में होता है।
कथा के अंतर में आशुओं की धारा ने मंन के मैल को धो डाला और जब दो दोस्त गले मिले तो दोस्ती के बीच आने वाली सभी खाईयां पट चुकी थी।
न्याय की महत्ता पुनः स्थापित हो चुकी थी।

रंगा रंगीली की भूमिका में सचिन केसरवानी सुजाता केसरी ने दर्शकों का मन मोहा साथ ही साथ खाला के रूप में शिवानी कश्यप तथा जुम्मन शेख की भूमिका में संदीप शुक्ला
रामधन के रूप में कृष्ण कुमार मौर्य ने अपने अभिनय को नई ऊंचाइयां प्रदान की अलगू चौधरी के रूप में रोशन पांडे, संजू साहू की भूमिका में सरस्वती ।
संगीत में दिलीप कुमार गुलशन ने हारमोनियम और ढोलक पर नगीना तथा नक्कारे पर रामानंद ने प्रस्तुति के आवश्यक शिल्प और गति प्रदान की।