हज़रत अली की यौमे विलादत पर कहीं सजी महफिल तो कहीं काटा गया केक
हज़रत अली की यौमे विलादत पर कहीं सजी महफिल तो कहीं काटा गया केक
पैग़म्बर ए इसलाम मोहम्मदे मुस्तफा के दामाद पहले इमाम हज़रत अली इब्ने अबुतालिब के यौम ए विलादत के मौक़े पर शहर भर मे जश्न का माहौल रहा।इमामबाड़ो व घरों मे जश्न के मौक़े पर शायरा महफिलें सजाई गईं तो वहीं लज़ीज़ व्यंजन बना कर एक दूसरे के घरों मे जा कर लुत्फ भी उठाया।करैली,दरियाबाद,रानी मण्डी,बख्शी बाज़ार,सब्ज़ी मण्डी,चक ज़ीरो रोड,दायरा शाह अजमल सहित शहर के पुराने इलाक़ो मे दिन भर जश्न का माहौल रहा।ट्वीटर,फेसबुक,वाट्सऐप पर लोग एक दूसरे को मैसेज के द्वारा मुबारकबाद देते रहे।घरों मे पुरुषों व महिलाओं की महफिलें आयोजित की गईं।कुछ धार्मिक ग्रुप पर ऑनलाईन महफिल भी सजी।करैली में सै०मो०हादी के नवनिर्मित आवास का रस्मे इजरा के साथ शायराना महफिल सजी।ज़ाकिरे अहलेबैत रज़ा अब्बास ज़ैदी ने हदीस ए किसा पढ़ी वहीं मौलाना सै० जव्वाद हैदर जव्वादी ने मौला ए कायनात,अमीरुल मोमेनीन हज़रत अली के यौमे पैदाईश की फज़ीलत बयान करते हुए कहा अमीरुल मोमनीन हज़रत अली ऐसी अज़ीम शख्सियत का नाम है जिनकी विलादत काबे जैसी पाक जगहा पर हुई जो ऐसा एजाज़ था जो आपसे पहले किसी को हासिल नहीं हुआ और बाद मे भी किसी को हासिल नही हुआ।इसी के साथ हम देखते हैं की आप की शहादत भी मस्जिद के मेहराब ए इबादत मे हुई ।सभी ने एक दूसरे को गले लग कर मुबारकबाद पेश की।शायर हसनैन मुस्तफाबादी,तूफान दरियाबादी ने मौलाए मुत्तक़य्यान की काबे में आमद पर अपने अशआर पेश किए।महफिल के बाद नज़्रो नियाज़ का एहतेमाम किया गया।दरियाबाद में शफ़क़त अब्बास पाशा के आवास पर भी नज़्र दिलाई गई वहीं दरियाबाद के पठनवल्ली मे ज़ुलक़रनैन आब्दी के फ्लैट का मौलाना रज़ी हैदर ने उद्धघाटन किया यहाँ भी बड़ी संख्या में लोगों ने नज्रे मौला मे शिरकत की।दायरा शाह अजमल मे नक़क़न साहब के आवास पर दुआए नुत्बा हुई वही लोगों ने जश्न मनाया।शाहिद अब्बास रिज़वी द्वारा ग़रीबों और ज़रुरतमन्दों को पुड़ी और हलवे के पैकेट बाँटे गए।रानीमण्डी मे मीर हुसैनी के इमामबाड़े मे जश्ने मौलूद ए काबा की महफिल में शायराना महफिल सजी।उम्मुल बनीन सोसाईटी के महासचिव सै०मो०अस्करी ने बताया की ऑनलाईन हुई महफिल में रौनक़ सफीपुरी ने पढ़ा बुत शिकन को रास्ता काबे के पत्थर देंगे आज।
आज दर होगा बरामद दामने दीवार से।।
तूफान दरियाबादी ने अपने तास्सूरात का कुछ इस तरहा इज़हार किया।
अली काबे में आए हैं खयाते जाँवेदाँ लेकर।
किताबे ज़िन्दगानी की निराली सुर्खियाँ लेकर।।
फय्यज़ रायबरैली ने पढ़ा खुदा के घर में खुदा के वली की आमद है।
ज़मीं पे चाँद सितारे बिछा दिए जाएँ
जावेद रिज़वी करारवी ने पढ़ा। बारिश ए अनवार काबे मे हुई कुछ इस तरहा।
डूब कर हैरत मे सब अब्रे करम देखा किये।।
हज़रत अली की विलादत बा सआदत के मौक़े पर मस्जिदों और इमामबाड़ों सहित दरियाबाद मे रौज़ा ए मौला अली को आकर्षक ढ़ग से सजाया गया।सै०अब्बास हुसैन सहित अनेक युवाओं द्वारा कहीं शरबत तो कही खाने पीने के स्टाल लगाए गए।माहे रजब की बारह तारीख से शुरु हुआ जश्न का सिलसिला तेरहा रजब को दिन भर जारी रहा।