“पिता एक अनमोल शख्सियत”: डॉ. रीना रवि मालपानी
“पिता एक अनमोल शख्सियत”: डॉ. रीना रवि मालपानी
माँ से मिलती हर समय ममता।
तो पिता से मिलती जीवन जीने की अनमोल क्षमता॥
माँ करती सृजन को परिभाषित।
तो पिता पर होता जीवन आश्रित॥
माँ भूल जाती लालन-पालन में अपना दु:ख।
तो पिता भी दिन-रात के कालचक्र में छोड़ देता अपना सुख॥
माँ है यदि जीवन में ठंडी छांव।
तो पिता भी भरते जीवन के घाव॥
माँ की कठिन है पालन-पोषण की साधना।
तो पिता भी इस कड़ी में करते अनवरत मौन आराधना॥
माँ का साया बनाता खुशियों से मालामाल।
तो पिता की देखरेख से जीवन होता निहाल॥
माँ की महिमा को तो मिलते अनेकों अलंकार।
पर पिता ही दिलाते जीवन में सच्ची जय-जयकार॥
हर कष्ट की घड़ी में हम माँ को पुकारते।
पर हमेशा पिता पीछे खड़े रहकर जीवन को संवारते।।
माँ के हाथ का भोजन तो लगता हमेशा स्वादिष्ट।
पर उस भोजन के पीछे पिता का पसीना होता समाविष्ट॥
माँ से करते हम हर प्रकार की चर्चा।
पर हमारी खुशियों और सपनों में खुद को खर्च कर पिता करते खर्चा॥
माँ का तो सभी करते गुणगान।
पर पिता का होना भी है जीवन में अतुल्य वरदान॥
डॉ. रीना कहती, माँ अगर है धरा का रूप।
तो पिता है उन्नत गगन का स्नेहिल स्वरूप॥
डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)