पकवान से गमक उठी हर गलियां, सोशल मीडिया पर छा गया ग्लोबल बिहारी पर्व छठ
पकवान से गमक उठी हर गलियां, सोशल मीडिया पर छा गया ग्लोबल बिहारी पर्व छठ
प्रकृति पूजन के महापर्व छठ को लेकर हर ओर लोकगीत और प्रसाद की सोंधी खुशबू छा गई है। सूर्योदय काल के पहले से ही तमाम घरों में ठेकुआ, पिरकिया, लड्डू सहित अन्य प्रसाद आस्था और सुचिता के साथ बनाए जा रहे हैं, जिसको लेकर गांव से शहर तक की गलियों में आत्ममुग्ध कर देने वाली खुशबू छा गई है।
प्रवासियों के हलचल से गांव गुलजार हो गया है, देश-विदेश में रहने वाले अधिकतर लोग छठ पर्व में शामिल होने के लिए अपने गांव आ चुके हैं तो सामाजिक समरसता की अद्भुत मिसाल दिख रही है। जातिवाद का चाहे लोग जितना भी हल्ला करें, लेकिन बनाए जा रहे छठ घाटों पर ना कोई जातिभेद दिख रहा है ना कोई वर्ग भेद, सभी जाति और समुदाय के लोग मिलजुलकर घाट तैयार कर रहे हैं, हिंदू तो हिंदू मुसलमान भाई भी इसमें जमकर सहयोग कर रहे हैं। जिस भी मुस्लिम मोहल्ला से छठ व्रती गुजर कर छठ करने जाएंगे, वहां के मुस्लिम परिवारों द्वारा साफ-सफाई कर दी गई है।
उदयाचल गांव में उगते हुए सूर्य की तो दुनिया में सभी पूजा करते हैं, लेकिन डूबते सूर्य की पूजा का यह बिहारी पर्व आज जब ग्लोबल होकर पूरी दुनिया में छा गया है तो सोशल मीडिया के भी तमाम प्लेटफार्म पर छठ के गीत, छठ की बधाई और इसकी प्रासंगिकता दिख रही है। आज रविवार को जब संध्याकालीन अर्घ्य होना है तो इसको लेकर सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफार्म टि्वटर, फेसबुक, टेलीग्राम, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप पर लोग बधाई दे रहे हैं।
केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने भी अपने सभी सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफार्म के माध्यम से लोगों को बधाई दे रहे हैं। गिरिराज सिंह ने कहा है कि सनातन की सुंदरता का इससे अच्छा रूप और क्या हो सकता है कि सनातनी डूबते सूर्य की भी पूजा करते हैं। सूर्य देव को अर्घ्य देने की तैयारी पूरी कर ली गई है। कण-कण भक्तिमय है, उत्साह और भक्ति अपने चरम पर है। सभी को छठ महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
राज्यसभा सदस्य प्रो. राकेश सिन्हा अपने गांव बेगूसराय के मनसेरपुर आए तो यहां अपने परिजनों के साथ छठ की तैयारी में लगे हैं तथा लोगों को बधाई एवं शुभकामना दिया है। उन्होंने छठ का एक गीत भी शेयर किया है। इंडियन ऑयल की बरौनी रिफाइनरी ने लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा की शुभकामना देते हुए लोगों के जीवन में खुशी, समृद्धि, सौहार्द और अपनापन होने की कामना किया है।
तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लोग कह रहे हैं कि छठ एक ऐसा त्योहार जो चार दिन चलता है लेकिन इसमें कोई दंगा नहीं होता, इंटरनेट कनेक्शन नहीं काटा जाता, किसी शांति समिति की बैठक कराने की जरूरत नहीं पड़ती, चंदा के नाम पर गुंडा गर्दी और जबरन उगाही भी नहीं होती। शराब की दुकानें बंद रखने का नोटिस नहीं चिपकाना पड़ता, मिठाई के नाम पर मिलावट नहीं परोसी जाती है। ऊंच-नीच का भेद नहीं होता, व्यक्ति और धर्म विशेष के जयकारे नहीं लगते, किसी से अनुदान और अनुकम्पा की अपेक्षा नहीं रहती है, राजा-रंक एक कतार में खड़े होते है, समझ से परे रहने वाले मंत्रों का उच्चारण भी नहीं होता और पंडितों को दान दक्षिणा का भी इसमें रिवाज नहीं है।
पंडित नवल किशोर झा कहते हैं कि प्रकृति का महापर्व एकता है, अखंडता है, आदर है, सद्भावना है, प्रेम है, आराधना है, भावना है, निश्चलता है, प्रकृति है, पावनता है, नदियों की कलकलाहट और पक्षियों का कलरव है। छठ मिट्टी की सुगंध है, माता अन्नपूर्णा की सौंदर्यता है, रिश्तों का समाहार और भाईचारा का मिशाल है। छठ वास्तविक हिंदुस्तान का अद्भुत परिदृश्य है, उगते हुए सूरज को तो सभी प्रणाम करते हैं। डूबते हुए सूरज को सम्मान और प्रणाम देने वाला इकलौता धर्म सनातन हमारा है। भगवान भुवन भास्कर आरोग्यता, विद्वता, निर्मलता, शालीनता, विनम्रता, दानशीलता एवं सहिष्णुता प्रदान करते हैं।