हमारी परम्परा में शब्द ही ब्रह्म : हृदय नारायण दीक्षित
मुख्यमंत्री योगी ने रामनाईक की कर्मयोद्धा और हृदय नारायण दीक्षित की रचनावली का किया विमोचन
लखनऊ, 03 जनवरी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को लोक भवन में पूर्व राज्यपाल राम नाईक द्वारा लिखित पुस्तक कर्म योद्धा और विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित द्वारा लिखित रचनावली का विमोचन किया। 10 खंडों में लिखित पुस्तक रचनावली में दशकों पुरानी भारत की परम्परा, साहित्य, वेद पुराण और राजनीति का समागम है। विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित अब तक 32 पुस्तकें लिख चुके हैं।
इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि 'चरैवेति चरैवेति' के संस्मरणों का समागम 'कर्मयोद्धा रामनाईक' है। कर्मयोद्धा कि रूप में आज भी उनकी जीवंतता है। वह आज भी न केवल उप्र बल्कि सम्पूर्ण समाज के लिए उनकी सक्रीयता है। उनकी पुस्तक हम सबके लिए प्रेरणापुंज है।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि उप्र के विधानसभा अध्यक्ष की पुस्तक रचनावली है। उनका लेख बहुत से लोग पसंद करते हैं। हृदय नारायण दीक्षित रचनावली ही नहीं बल्कि उन्होंने समय काल परिस्थित के अनुकूल लेखन कर समाज को दिशा दी है। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्रियों के समेत खुद के सदन में भाषण पर आधारित पुस्तकों के प्रकाशन पर अध्यक्ष के साथ विधानसभा पुस्तकालय के प्रति आभार प्रकट किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पुस्तकें युवाओं के अध्ययन में सहायक सिद्ध होंगी।
राम नाईक जी के नेतृत्व में हमने संसद में काम किया है। उन्होंने ही प्रेरणा दी कि संसद में राष्ट्रगान हो और सबके लिए अनिवार्य हो। राम नाईक ने ही बम्बई को मुम्बई और इलाहाबाद को प्रयागराज के रूप में जाना जाए, उनकी ही प्रेरणा थी।
विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि भारतीय चिंतन में शब्द को 'ब्रह्म' कहा गया। बाइबल निर्माण में कहा गया कि सृष्टि निर्माण से पहले शब्द था। ऋग्वेद में कहा गया वाणी है। पतंजलि ने कहा कि शब्द एक है। वह जहां-जहां बैठता है अर्थ अलग-अलग हो जाता है। पतंजलि ने महाभाष्य लिखा है। पहला श्लोक ही लिखा है कि शब्द अनुशासन में जा रहा है। इस समय प्रदेश में दो शब्द गतिशील है। मोदी जी योगी जी। योगी जी का नाम लेते ही माफिया भाग जाते हैं। वह नहीं होते लेकिन शब्द है। योगी जी कब कालिदास मार्ग पहुंचते हैं। कब जौनपुर और कब पश्चिम में पहुंचते हैं। सशरीर वह जिलों में पहुंच जाते हैं। लेकिन उनका नाम हर घर में गूंजता है।
देश में वामपंथियों ने भारत के खिलाफ ऐसा दुष्प्रचार करने में जुटे थे कि भारतीय संस्कृति कमजोर है, भारत का कोई इतिहास नहीं है, राष्ट्रवाद अंग्रेजों ने स्थापित किया जैसे-जैसे विचार थोपे जा रहे थे। यह करीब 20 साल पुरानी बात है। हमने सोचा कि वामपंथियों को जवाब देना है। उनके सभी दलीलों को काटना है। तब से लेख लिखना शुरू किया। हमने उन लेखों में बताने का प्रयास किया कि भारतीय संस्कृति प्राचीन और सर्वश्रेष्ठ है।
पूर्व राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि मैं कोई लेखक नहीं हूं। मेरे अनुभवों को इसमें पिरोया गया है। यह पुस्तक 10 भाषाओं के साथ ब्रेल लिपि में भी उपलब्ध है। इसे मैन नहीं लिखा है। इस किताब की संकल्पना मेरी नहीं है। वजा रिजवी की है। वह चाहते थे कि ऐसी पुस्तक लिखी जानी चाहिए।
इस मौके पर विधान परिषद के सभापति कुअँर मानवेन्द्र सिंह, चरैवेति चरैवेति सलाहकार समिति के अध्यक्ष अम्मार रिजवी और संसदीय कार्य एवं वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने भी सम्बोधित किया। सभी वक्ताओं ने दोनों लेखकों की पुस्तकों पर अपने-अपने विचार रखे।
इन पुस्तकों का भी हुआ विमोचन
पांच मुख्यमंत्रियों के विधानसभा में भाषण पर आधारित पुस्कतों का विमोचन किया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सदन में भाषण पर आधारित संकल्प एवं संचल्प शीर्षक से पुस्तक है। इसके अलावा चार पूर्व मुख्यमंत्रियों पर आधारित उप्र विधानसभा में राजनाथ सिंह, उप्र विधानसभा में कल्याण सिंह, उप्र विधानसभा में राम प्रकाश, उप्र विधानसभा में चौधरी चरण सिंह के भाषणों पर आधारित पुस्तकों का विमोचन किया गया।
इस मौके पर संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना, अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी, नवनीत सहगल, विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार दुबे समेत अन्य लोग मौजूद हैं।