बीटिंग द रिट्रीट में तीनों सेनाओं की भारतीय शास्त्रीय धुनों से गूंज उठा विजय चौक
भव्य शो में शामिल हुए 3,500 स्वदेशी ड्रोन से रोशन हुईं रायसीना की पहाड़ियां
नई दिल्ली, 29 जनवरी । देश में गणतंत्र दिवस समारोहों के समापन का प्रतीक 'बीटिंग द रिट्रीट' समारोह में भारतीय शास्त्रीय रागों पर आधारित भारतीय धुनों से विजय चौक गूंज उठा। यह समारोह देश के सबसे बड़े ड्रोन शो का भी गवाह बना, जिसमें रायसीना की पहाड़ियां हल्की बूंदा-बांदी के बीच रोशन हुईं। दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने के लिए इस ड्रोन शो में 3,500 स्वदेशी ड्रोन शामिल हुए। सप्ताह भर चले गणतंत्र दिवस समारोह का समापन आज 'बीटिंग द रिट्रीट' के साथ हो गया।
देश में गणतंत्र दिवस समारोह 23 जनवरी से शुरू हो गया था। 26 जनवरी को कर्तव्य पथ पर झंडा फहराया गया और लाल किला तक भव्य परेड निकाली गई। सप्ताह भर चले गणतंत्र दिवस समारोह का समापन आज 'बीटिंग द रिट्रीट' के साथ हो गया। इस समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पीएम मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई गणमान्य लोग शामिल हुए। इस वर्ष दिल्ली के विजय चौक पर हुआ 'बीटिंग द रिट्रीट' समारोह कई मायनों में बेहद खास रहा।
ड्रोन शो में 3,500 स्वदेशी ड्रोन शामिल हुए, जिसने रायसीना पहाड़ियों को हल्की बूंदा-बांदी के बीच रोशन किया। बोटलैब्स डायनेमिक्स की ओर से आयोजित ड्रोन शो में पहली बार नॉर्थ और साउथ ब्लॉक के अगले हिस्से में बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी के दौरान एक 3डी एनामॉर्फिक प्रोजेक्शन किया गया, जिसने इस समारोह को और भी खास बना दिया। समारोह की शुरुआत तीनों सेनाओं के सामूहिक बैंड की 'अग्निवीर' धुन से हुई, जिसके बाद पाइप्स और ड्रम बैंड से 'अल्मोड़ा', 'केदारनाथ', 'संगम दूर', 'सतपुड़ा की रानी', 'भागीरथी', 'कोंकण सुंदरी' जैसी मोहक धुनें निकाली गईं।
भारतीय सेना के बैंड ने 'शंखनाद', 'शेर-ए-जवान', 'भूपाल', 'अग्रणी भारत', 'यंग इंडिया', 'कदम कदम बढ़ाए जा', 'ड्रमर्स कॉल' और 'ऐ मेरे वतन के लोगों' बजाया। भारतीय वायु सेना के बैंड ने 'अपराजेय अर्जुन', 'चरखा', 'वायु शक्ति', 'स्वदेशी' की धुन बजाई, जबकि भारतीय नौसेना ने 'एकला चलो रे', 'हम तैयार हैं' और 'जय भारती' की धुनें बजाईं। भारतीय शास्त्रीय रागों पर आधारित भारतीय धुनों ने इस वर्ष 'बीटिंग द रिट्रीट' समारोह में चार चांद लगा दिए। इसके अलावा सेना, नौसेना, वायु सेना और राज्य पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के संगीत बैंड ने 29 मनोरम और पैर थिरकने वाली भारतीय धुनें भी बजाईं। 'बीटिंग द रिट्रीट' कार्यक्रम का समापन 'सारे जहां से अच्छा' की सदाबहार धुन के साथ हुआ।
क्या है 'बीटिंग द रिट्रीट' सेरेमनी
'बीटिंग द रिट्रीट' सेना के बैरक वापसी का प्रतीक है। दुनिया भर में बीटिंग रिट्रीट की परंपरा रही है। लड़ाई के दौरान सेनाएं सूर्यास्त होने पर हथियार रख कर अपने कैंप में जाती थीं, तब एक संगीत में समारोह होता था, इसे बीटिंग रिट्रीट कहा जाता है। भारत में बीटिंग रिट्रीट की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी, तब भारतीय भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट्स ने बड़े पैमाने पर बैंड द्वारा प्रदर्शन के अनूठे समारोह को स्वदेशी रूप से विकसित किया। विजय चौक पर राष्ट्रपति के आते ही उन्हें नेशनल सेल्यूट दिया गया। थल सेना, वायु सेना और नौसेना, तीनों के बैंड मिलकर पारंपरिक धुन के साथ मार्च किया। बैंड वादन के बाद रिट्रीट का बिगुल वादन हुआ और इस दौरान बैंड मास्टर ने राष्ट्रपति के पास जाकर बैंड वापस ले जाने की इजाजत मांगी। इसका मतलब ये होता है कि 26 जनवरी का समारोह पूरा हो गया है और बैंड मार्च ने वापस जाते समय लोकप्रिय धुन 'सारे जहां से अच्छा' बजाई।