प्रयागराज: भारत की प्रतिष्ठा के दो आधार स्तम्भ, भारतीय संस्कृति एवं संस्कृत : अभिराज
भारत की प्रतिष्ठा के दो आधार स्तम्भ, भारतीय संस्कृति एवं संस्कृत : अभिराज
प्रयागराज, 25 अगस्त । भारत की प्रतिष्ठा के दो आधार स्तम्भ है, भारतीय संस्कृति एवं संस्कृत। आज भारत अपने देश में ही नहीं अपितु समूचे विश्व में अपने भारतीय संस्कृति एवं देवभाषा संस्कृत के कारण जाना जाता है। उक्त विचार संस्कृत जगत के प्रसिद्ध विद्वान कवि व पूर्व कुलपति सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पद्मश्री प्रोफेसर अभिराज राजेंद्र मिश्र ने संस्कृत के संवर्धन एवं प्रचार-प्रसार पर ऑनलाइन व्याख्यान में व्यक्त किया।
नवयुग कन्या महाविद्यालय राजेंद्र नगर लखनऊ तथा संस्कृत भारती अवध प्रांत के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को संस्कृत सप्ताह के अंतर्गत आयोजित संस्कृत के संवर्धन एवं प्रचार-प्रसार पर उन्होंने आगे कहा कि संस्कृत भाषा का संवर्धन प्रचार प्रसार कैसे हो तथा यह जन-जन की भाषा कैसे बने, इसके लिए हमें संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार पर जागरूकता की जरूरत है। संस्कृत भाषा केवल भाषा नहीं है अपितु देववाणी रूप में भी जानी जाती है। हमारा पूरा वैदिक वांग्मय संस्कृत भाषा में ही निबद्ध है।
नवयुग डिग्री कॉलेज राजेंद्र नगर, लखनऊ के संस्कृत विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ वंदना द्विवेदी के संयोजकत्व में आयोजित व्याख्यान में अखिल भारतीय प्रचारगण सदस्य संस्कृत भारती दिल्ली प्रांत डॉ अशोक कुमार ने संस्कृत के प्रचार-प्रसार में विभिन्न उपायों पर अपना विचार व्यक्त किया।
विशिष्ट वक्ता उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के उपाध्यक्ष संस्कृत भारती अवध प्रांत के अध्यक्ष शोभन लाल उकिल ने संस्कृत भाषा के रक्षण प्रचार-प्रसार उपाय पर कहा कि संस्कृत सप्ताह में हम लोगों को संकल्प लेना चाहिए कि संस्कृत के प्रचार प्रसार में हम संस्कृत को नई दिशा प्रदान करेंगे।
कार्यक्रम का शुभारम्भ डॉ वंदना द्विवेदी ने वैदिक मंगलाचरण से किया तथा सरस्वती वंदना विद्योमा द्विवेदी ने किया। अतिथियों का स्वागत नवयुग कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर सृष्टि श्रीवास्तव ने एवं संचालन व धन्यवाद ज्ञापन डॉ वंदना द्विवेदी ने किया।
कार्यक्रम में डॉ देवेश मिश्रा सह आचार्य इग्नू, डॉ धर्मेंद्र गुप्ता प्राचार्य महामाया नगर श्रावस्ती, डॉ मनोज कुमार द्विवेदी तेरही डिग्री कालेज आजमगढ़, डॉ दीप्ति विष्णु इविवि प्रयागराज, डॉ उमेश शुक्ल, डॉ जितेन्द्र आदि उपस्थित रहें।