तुलसीदास की रामकथा महत्वपूर्ण व अनुकरणीय : शंकराचार्य वासुदेवानंद

तुलसीदास की रामकथा महत्वपूर्ण व अनुकरणीय : शंकराचार्य वासुदेवानंद

तुलसीदास की रामकथा महत्वपूर्ण व अनुकरणीय : शंकराचार्य वासुदेवानंद

प्रयागराज, 12 अगस्त । हिन्दी साहित्य सम्मेलन के सभागार में आयोजित तुलसी जयन्ती समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि शंकराचार्य वासुदेवानन्द सरस्वती ने कहा कि तुलसी आधुनिक समय के सर्वाधिक लोकप्रिय साहित्यकार हैं। उनकी राम कथा महत्वपूर्ण और अनुकरणीय है। वे हम सबके निष्ठा भाजन हैं, उनका लेखन अतुलनीय है।

इस अवसर पर विशिष्ट वक्ता बृजेशानन्द महाराज ने रामबोला से तुलसी होने की उनकी यात्रा पर प्रकाश डाला और उनकी निर्मिति में रत्नावली के योगदान को रेखांकित किया। प्रो. भगवत शरण शुक्ल ने उन्हें अगुण सगुण सहित सभी प्रकार के समन्वय का पथ प्रशस्त करने वाला बताया। प्रो. सभापति मिश्र ने लोक परम्परा में उनकी रचना को सर्वश्रेष्ठ बताते हुए उन्हें लोक में रामकथा का सबसे बड़ा गायक बताया।

डॉ. रविनन्दन सिंह ने उनके निवृत्ति मार्ग पर प्रकाश डालते हुए कहा कि निवृत्ति ही उनके जीवन का मंत्र था। संजय पुरुषार्थी ने कहा कि राम नाम से लेकर राम नाम सत्य तक का बोध तुलसी की कथा से होता है।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के प्रो. राजेश कुमार गर्ग ने कहा कि प्रीति पीयूष से पूरित तुलसी की कविता में कंचन विद्यमान है। उनकी कथा में निरंतर मंदाकिनी के जल की तरह पीयूष धारा बहती है। तुलसी अगम, अगोचर की सरिता अपनी कविता में बहाते हैं। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. राम किशोर शर्मा ने किया।

इसके पूर्व हिन्दी साहित्य सम्मेलन के प्रधानमंत्री कुन्तक मिश्र ने शंकराचार्य का स्वागत व अभिनन्दन किया। स्वाति निरखी ने भजन गायन भी प्रस्तुत किया। इस अवसर पर आए अतिथियों का प्रो. हरिनारायण दुबे, नरेन्द्र देव पांडेय, राजकुमार शर्मा, किण्ठमणि प्रसाद मिश्र, एम.पी. तिवारी, अंजनी कुमार शुक्ल और डॉ बी के कश्यप “निषाद” और पवित्र त्रिपाठी ने स्वागत किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी, साहित्यकार और प्रबुद्धजन मौजूद थे।