हनुमान जन्मोत्सव पर विशेष : भक्त के मांगने पर संकट मोचन हनुमान ने दे दी थी अपनी बाईं आंख

हनुमान जन्मोत्सव पर विशेष : भक्त के मांगने पर संकट मोचन हनुमान ने दे दी थी अपनी बाईं आंख

हनुमान जन्मोत्सव पर विशेष : भक्त के मांगने पर संकट मोचन हनुमान ने दे दी थी अपनी बाईं आंख

मीरजापुर, 06 अप्रैल । दुष्टों का नाश करने वाले, सभी के कष्टों को परास्त करने वाले, भगवान राम के परम भक्त पवन सूत श्री संकट मोचन हनुमान का पवित्र एवं प्राचीन मंदिर शहर के बीच स्थित है। यह मंदिर दिखने में बेहद साधारण है पर मन की शांति पाने के लिए एक आदर्श मंदिर है। जहां संकट मोचन हनुमानजी का मंदिर है, उस स्थान को संकट मोचन के नाम से ही जाना जाता है। संकट का अनुवाद खतरे और मोचन का अर्थ हटाने वाला है। इस प्रकार संकट मोचन मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है, जिसकी खूब पहचान है। मंदिर में शुद्ध देशी घी और बेसन से बने लड्डू प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता हैं। जो मंदिर परिसर में ही मिलता है।



विशेषता

संकट मोचन हनुमानजी की मूर्ति कब, कैसे और कहां से आई, यह बता पाना मुश्किल है। संकट मोचन के आसपास पहले पूरा जंगल हुआ करता था। बगल में एक कुआं भी है, जो सूखा पड़ा है। संकट मोचन हनुमानजी की दूर-दूर तक प्रसिद्धि है। विदेशों से मनी आर्डर भी आते हैं।



मंदिर खुलने का समय

संकट मोचन मंदिर सुबह 4 बजे खुलता है और रात 10 बजे बंद हो जाता है।



आरती का समय

संकट मोचन मंदिर में सुबह 4 बजे प्रभात आरती और रात 9 बजे रात्रि आरती की जाती है।



मिथक

ऐसा कहा जाता है कि भगवान हनुमान, सर्वोच्च भगवान की निस्वार्थ सेवा और महान गुणों के साथ ब्रह्मचर्य के प्रतीक हैं। भक्तों का मानना है कि भगवान हनुमान थोड़े से अनुष्ठान और पूजा से प्रसन्न होते हैं। उन्हें दुनिया से डर को खत्म करने वाला भी कहा जाता है। भारतीय संस्कृति के कई अन्य देवताओं की तरह भगवान हनुमान के भी कई नाम हैं, वायुपुत्र, पवनसुत, पिंगलक्ष व बजरंग बली इत्यादि।



महत्व

भगवान हनुमान भक्तों के प्रिय देवता हैं क्योंकि उन्हें कठिन कर्मकांडों की आवश्यकता नहीं होती है और वे अपने भक्तों को सभी संकट से बचाते हैं। भक्त सभी सांसारिक जटिलताओं से छुटकारा पाने के लिए संकट मोचन से प्रार्थना करते हैं। लोगों का यहा तक मानना है कि भगवान स्वयं अपने भक्तों के रक्षा करते हैं।

यह माना जाता है कि जो लोग शनि ग्रह के बुरे प्रभाव में हैं, उनकी रक्षा भगवान हनुमान द्वारा की जाती है, जिन्हें संकट मोचन या सभी खतरों के रक्षक भी कहा जाता है। वह आपको राहु और करियर की प्रतिकूलताओं से भी बचाते हैं। हनुमानजी की आराधना करने से सभी को सुख-शांति मिलती है।

आमतौर पर शनिवार और मंगलवार को भगवान हनुमान का दिन माना जाता है। अन्य दिनों की तुलना में दोनों दिन मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। लोग भगवान हनुमान के सामने सुंदर कांड, हनुमान मंत्र, हनुमान चालीसा, हनुमान आरती, हनुमान अष्टक और बजरंग बाण का जाप करते हैं।

लोगों का मानना है कि भगवान संकट मोचन किसी को भी खाली हाथ नहीं जाने देते, सभी के दु:ख दूर करते हैं और सबकी झोली भर देते हैं। जो उनके सच्चे भक्त हैं, वे उनके हृदय में निवास करते हैं। इसलिए मीरजापुर आने वाले या रहने वाले छोटे या बड़े यहां जरूर आते हैं और उनके चरणों में नतमस्तक होते हैं।



इतिहास

इस समय योगेंद्र तिवारी उर्फ पप्पू संकट मोचन मंदिर के पुजारी हैं। इनके पूर्वज भी संकट मोचन हनुमानजी के सेवक रहे हैं। बात करते हैं 1870 की। उस समय वर्तमान पुजारी योगेंद्र तिवारी के पूर्वज बटुक प्रसाद पाठक संकट मोचन हनुमानजी के पुजारी थे। पुजारी बटुक प्रसाद नियमित पूजा के बाद रात को घर चले जाते थे। एक दिन सुबह जब संकट मोचन हनुमानजी के पूजन-श्रृंगार के लिए मंदिर खोले तो देखें कि हनुमानजी की बाईं आंख नहीं है। हालांकि उन्होंने काफी खोजबीन किया, लेकिन कुछ पता नहीं चला। चोरी की आशंका भी नहीं हुई क्योंकि मंदिर का दरवाजा-ताला सब सही-सलामत था और चाभी भी उन्हीं के पास रहता था। बाद में सोचे कि कोई नहीं जानता कौन चोरी किया है, हनुमानजी जानते हैं कौन चोरी किया है और इन्हीं चोरी करवाए हैं। क्रोध में आकर पुजारी ने प्रसाद का घड़ा उठाया हनुमानजी के ऊपर चलाने के लिए और कहने लगे कि हमारे अंदर अब इतना नहीं सामर्थ्य है कि हम आपका देखें और तूहि चोरी करवाए हय। यह कहते ही घड़ा उठाए पुजारी का हाथ वैसे ही थम गया। इससे पूरे परिवार में अफरा-तफरी मच गया। काफी मान-मन्नौव्वल के बाद उनका हाथ नीचे हुआ। फिर एक दिन रात के समय संकट मोचन हनुमानजी पुजारी बटुक के सपने में आते हैं और पूरी कहानी बताते हैं। कहते हैं, एक भक्त नियमित मंदिर आता था और कहना था, हमके कुछ नाही चाहि बस आपन आंख दइड हमें। इससे हम दुविधा में पड़ गए। भक्त इतने दिन से मांग रहा था हम उसको दे दिए। फिर हनुमानजी पुजारी बटुक से बोले, भक्त आंख लेकर आएगा वहीं आंख आप लगाइएगा, फिर वही बाईं आंख हनुमानजी को लगाई गई, जो आज भी लगी है।