अध्यापक की सेवाकाल में मौत पर वारिस को ग्रेच्युटी पाने का अधिकार : हाईकोर्ट
विकल्प न देने से ग्रेच्युटी से इंकार करना सही नहीं
प्रयागराज, 25 सितम्बर । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सेवानिवृत्त होने से पहले ही मौत पर अध्यापक के वारिसों को इस आधार पर ग्रेच्युटी देने से इंकार नहीं किया जा सकता कि अध्यापक ने सेवानिवृत्ति विकल्प नहीं भरा था। कोर्ट ने कहा कि सेवा नियमावली के अनुसार तीन साल की सेवा करने वाले अध्यापक को प्राप्त अंतिम वेतन का 6 गुना ग्रेच्युटी पाने का अधिकार है।
सेवानिवृत्ति आयु 60 से बढ़ाकर 62 किये जाने के बाद ग्रेच्युटी का विकल्प देने का निर्देश जारी किया गया। विकल्प सेवानिवृत्ति से एक वर्ष के भीतर देना था। किन्तु विकल्प भरने से पहले ही मौत हो गई। ऐसे में ग्रेच्युटी का भुगतान करने से इंकार नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने याचिका मंजूर कर ली और तीन माह में ग्रेच्युटी की गणना कर निर्णय से याची को सूचित करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने सुशीला यादव, अभिषेक चंद्र सिन्हा व माया देवी की याचिकाओं पर दिया है।
सभी याची बेसिक स्कूल के अध्यापक के वारिस है। इन्हें यह कहते हुए ग्रेच्युटी देने से इंकार कर दिया गया कि अध्यापक ने विकल्प नहीं दिया था। कोर्ट ने उषा रानी केस के फैसले के हवाले से कहा कि मौत कभी भी हो सकती है। यदि विकल्प नहीं भरा गया है तो इस आधार पर ग्रेच्युटी देने से मना नहीं कर सकते।