रेलवे संरक्षा विभाग ने करायी डेटोनेटर-फॉग सिगनल की टेस्टिंग
रेलवे संरक्षा विभाग ने करायी डेटोनेटर-फॉग सिगनल की टेस्टिंग
प्रयागराज, 06 अगस्त । रेलवे में एक दुर्घटना होने पर दूसरी दुर्घटना न होने पाये, उसको रोकने के लिए ट्रैक पर डेटोनेटर-डेंजर सिगनल लगाया जाता है। प्रयागराज जंक्शन यार्ड में संरक्षा विभाग की देखरेख में डेटोनेटर-फॉग सिगनल की संयुक्त रूप से मंगलवार को टेस्टिंग करायी गयी।
जनसम्पर्क अधिकारी अमित कुमार सिंह ने बताया कि डेटोनेटर के ऊपर से जब कोई वाहन गुजरता है, तो तेज धमाके के साथ आवाज करता है जिससे लोको पायलट डेंजर सिगनल की आवाज़ सुनकर आगे खतरे की आशंका पर अपनी गाड़ी में आपातकालीन ब्रेक लगाकर गाड़ी को तुरन्त खड़ा कर लेता है। जिससे होने वाली दुर्घटना बच जाती है। घने कोहरे के समय ब्रांच लाइनों में जहां सिंगल डिस्टेंट सिगनल है, वहां भी डेटोनेटर का प्रयोग किया जाता है।
पीआरओ ने बताया कि वर्ष 2010 से निर्मित पटाखे की उम्र कम से कम 5 वर्ष निर्धारित किया गया है। पांच वर्ष पूरा होने पर प्रत्येक वर्ष टेस्टिंग करके पटाखे की अधिकतम 8 वर्षो तक बढ़ायी जाती है। डेटोनेटर ट्रेन ऑपरेशन से सम्बंधित कर्मचारियों जैसे लोको पायलट, गार्ड, स्टेशन मास्टर, गेट मैन, की-मैन, ट्रैक मैन आदि कर्मचारियों को जारी किया जाता है।
डेटोनेटर टेस्टिंग के दौरान मुख्य संरक्षा सलाहकार चन्द्रिका प्रसाद; मुख्य यार्ड मास्टर संजीत कुमार; यातायात निरीक्षक संतोष कुमार त्रिपाठी; रेल पथ निरीक्षक प्रवीन कुमार; मुख्य लोको निरीक्षक के.के. सिंह एवं निरीक्षक रेलवे सुरक्षा बल कुलवीर सिंह आदि उपस्थित रहे।