पूसी रेलवे ने छह इंजनों को पानी रहित मूत्राशय तकनीक से किया लैस

पूसी रेलवे ने छह इंजनों को पानी रहित मूत्राशय तकनीक से किया लैस

पूसी रेलवे ने छह इंजनों को पानी रहित मूत्राशय तकनीक से किया लैस

गुवाहाटी, 04 दिसंबर । लोको पायलटों की कार्य परिस्थितियों में और अधिक सुधार करने के लिए पूसी रेलवे ने डब्ल्यूएजी-9 एचसी श्रेणी के छह इंजनों में एक अभिनव तकनीक-पानी रहित यूरिनल स्थापित कर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस पहल से लोको पायलटों के लिए बेहतर कार्य स्थिति की सुविधा मिलेगी।

पूर्वोत्तर सीमा रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कपिंजल किशोर शर्मा ने बुधवार को बताया कि प्रारंभ में, मालदा टाउन (एमएलडीटी) के इलेक्ट्रिक लोको शेड ने संसाधन संरक्षण, सुविधा और ट्रेन परिचालन के दौरान संरक्षा बढ़ाने के लिए पानी रहित यूरिनल लगाए हैं। पहले, मालगाड़ियों के लोको पायलट, जो अक्सर 7-8 घंटे तक लगातार काम करते थे, के पास इंजनों के भीतर शौचालय सुविधा की कोई व्यवस्था नहीं थी। इससे उन्हें अनिर्धारित ठहराव पर निर्भर रहना पड़ता था, जिससे ट्रेनों के सुरक्षित परिचालन और समय की पाबंदी पर असर पड़ने की संभावना बनी रहती थी।

पानी रहित यूरिनलों में एक शुष्क तंत्र होता है, जो पानी की आवश्यकता को समाप्त करता है एवं स्वच्छता बनाए रखते हुए दुर्गंध को रोकता है। वे कई उन्नत सुविधाओं के साथ होते हैं, जिसमें स्टेनलेस स्टील वायर मेश के साथ एक एपॉक्सी-कोटेड गंधहीन यूनिसेक्स डिज़ाइन, एक परफ्यूम डिस्पेंसर और यूरिनल मैट शामिल है। यूरिनलों में स्वचालित एलईडी लाइट एवं ऑक्यूपेंसी के आधार पर निकास पंखा के संचालन के लिए एक माइक्रोकंट्रोलर-आधारित प्रणाली, एक ऑटो सेंसर आधारित हैंड सैनिटाइज़र और एक यूवी नियंत्रित कीटाणुनाशक प्रणाली भी है। इस प्रणाली की प्रमुख संरक्षा विशेषताओं में से एक यह है कि यूरिनलों का उपयोग केवल तभी किया जा सकता है जब ट्रेन ठहरी हो और इंजन ब्रेक लगाए जाएं, जिससे परिचालन के दौरान उच्चतम स्तर की संरक्षा सुनिश्चित हो। इससे किसी भी संभावित दुर्घटना या अनहोनी से बचा जा सकता है।

मालदा टाउन स्थित पूसी रेलवे का लोको शेड आने वाले महीनों में चरणबद्ध तरीके से इस जोन में 50 और इंजनों पर इन सुविधाओं को स्थापित करने की योजना बना रहा है। यह विकास न केवल अपनी लंबी कार्यावधि के दौरान लोको पायलटों की सुविधा और आराम को बढ़ावा देगा, बल्कि पानी की खपत और अनुरक्षण लागत को कम करके स्थिरता के प्रयासों में भी योगदान देगा। यह रेलवे प्रणाली के अधीन हरित पहल के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रगति का भी प्रतीक है।