प्रयागराज सिफरी ने हजारों मछलियों को गंगा में रैंचिंग कर छोड़ा
प्रयागराज सिफरी ने हजारों मछलियों को गंगा में रैंचिंग कर छोड़ा
प्रयागराज, 28 मार्च । गंगा में विलुप्त हो रहे मत्स्य प्रजातियों के संरक्षण एवं संवर्धन को ध्यान में रखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्-केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सिफरी) प्रयागराज द्वारा गंगा और यमुना के संगम तट पर गंगा नदी में 10 दस हजार भारतीय प्रमुख कार्प, कतला, रोहू, मृगल मछलियों के बीज को रैंचिंग कार्यक्रम के तहत छोड़ा गया।
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के अन्तर्गत आयोजित कार्यक्रम में सोमवार को बतौर मुख्य अतिथि श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी प्रयागराज के पीठाधीश्वर महन्त बलवीर गिरि ने तीर्थ का महत्व तथा मानव सभ्यता के लिए गंगा के महत्व को बताया। उन्होंने मत्स्य को भगवान विष्णु का अवतार कहा और गंगा को स्वच्छ रखने एवं इसके जैव विविधता को बचाने के लिए उपस्थित लोगों से आह्वान किया। संस्थान के केन्द्राध्यक्ष डॉ डी.एन झा ने नमामि गंगे परियोजना के बारे में जानकारी दी। जिसके अन्तर्गत पूरे गंगा नदी में कम हो रहे महत्वपूर्ण मत्स्य प्रजातियों के बीज का रैंचिंग होना रखा, साथ ही लोगों को गंगा के जैव विविधता और स्वच्छता के बारे में जागरूक किया। उन्होंने गंगा नदी में मछली और रैंचिंग के महत्व को भी बताया।
नगर गंगा समिति के सदस्य राजेश शर्मा संयोजक नमामि गंगे (गंगा विचार मंच) राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार ने मंत्रालय द्वारा गंगा सफाई के लिए किए कार्यों का उल्लेख किया। नगर निगम के स्वच्छता एम्बेसडर दुकानजी ने लोगों से गंगा नदी को स्वच्छ रखने के प्रयासों को विस्तार पूर्वक बताया। स्वामी योगानंद आश्रम ट्रस्ट के सदस्य डॉ. नरेंद्र नाथ व्यास ने कहा कि स्वयं भगवान की वाणी है कि जब-जब धर्म की हानि होती है और अधर्म का उत्थान होता है तो मैं धर्म की रक्षा के लिए अवतार ग्रहण करता हूं। भगवान के 10 प्रमुख अवतार माने गए हैं। इसमें से प्रथम अवतार मत्स्य अवतार है। चैत्र शुक्ल पक्ष तृतीया को अपराध व्यापिनी मत्स्य जयंती मनाई जाती है। इस बार 3 अप्रैल को मत्स्य जयंती पड़ रही है। जल को पवित्र करने के लिए सर्वोत्तम मछलियां मानी जाती है, जो जल के प्रदूषण को दूर कर देती हैं।
देवीजी ने दुर्गा कवच में कहा है कि जब तक धरती पर वृक्ष नदी और पर्वत सुरक्षित रहेंगे तभी तक मैं प्राणियों की रक्षा कर पाऊंगी। क्योंकि प्रकृति हमारे शरीर का अंग है, जब प्रकृति के साथ छेड़छाड़ होगा तो हमारे शरीर को नुकसान होगा। मां गंगा सेवा समिति के सचिव रंजन शर्मा ने गंगा के प्रति जागरूक होने के साथ ही गंगा को स्वच्छ रखने का संकल्प व्यक्त किया। कार्यक्रम में स्नानार्थियों के साथ-साथ आसपास गांव के मत्स्य पालक, मत्स्य व्यवसायी तथा गंगा तट पर रहने वाले स्थानीय लोगों ने भाग लिया। अन्त में संस्थान के वैज्ञानिक डॉ वेंकटेश ठाकुर ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए आश्वस्त किया कि समाज के भगीदारी से हम इस परियोजना के उद्देश्यों को पाने में सफलता प्राप्त करेंगे। कार्यक्रम में संस्थान के शोधार्थी डॉ. संदीप कुमार मिश्र, शिव जनम वर्मा, संदीप मिश्रा, दुर्गेश वर्मा आदि ने सभा को सम्बोधित किया।