बाबा साहेब की 66वीं पुण्यतिथि पर बहुजन रंगकर्मियों ने भारत को बौद्धमय बनाने का लिया संकल्प
बाबा साहेब की 66वीं पुण्यतिथि पर बहुजन रंगकर्मियों ने भारत को बौद्धमय बनाने का लिया संकल्प
प्रयागराज, 06 दिसम्बर । ज्ञान के प्रतीक राष्ट्रनायक भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब भीमराव आम्बेडकर के 66वें महापरिनिर्वाण पर बुद्धिजीवी, समाजसेवी चिंतकों आदि ने भारत को बौद्धमय बनाने के संकल्प के साथ बाबासाहेब को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
सोमवार को प्रबुद्ध फाउंडेशन देवपती मेमोरियल ट्रस्ट, भारतीय बौद्ध महासभा के साथ नगर के दर्जनों बुद्धिजीवी, समाजसेवी चिंतकों आदि ने एक ओर जहां हाईकोर्ट स्थित डॉ. अम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर भारत को बौद्धमय बनाने का संकल्प लिया, वहीं दूसरी ओर ग्लास फैक्ट्री पंतरवा स्थित डॉ. भीमराव अम्बेडकर बुद्ध बिहार में एक दिसम्बर से चलाई जा रही तीस दिवसीय प्रस्तुति परक बहुजन नाट्य कार्यशाला के रंग प्रेमियों ने भी भारत को बौद्धमय बनाने के संकल्प के साथ बाबा साहेब को श्रद्धांजलि अर्पित की।
उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता शुकदेव राम ने बताया कि समाज में आज नैतिकता एवं आचरण का निरंतर पतन होता जा रहा है। हर कोई एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाकर अपने निजी स्वार्थ के चक्कर में समाज से दूर होते जा रहे हैं।
एडवोकेट कुमार सिद्धार्थ ने कहा कि आधुनिकीकरण के दौर में हम अपने संस्कारों, मर्यादाओं को भूलते जा रहे हैं। सौरभ गौतम ने कहा तथागत गौतम का धम्म ही एक मात्र विकल्प है, जिसे घर-घर और गांव-गांव पहुंचाने की आवश्यकता है।
शशि सिद्धार्थ ने कहा कि लोग अपनी जिम्मेदारी व जवाबदेही को भूलते जा रहे हैं। बाबा साहेब के सपनों एवं संघर्षों को दरकिनार कर अपने वर्चस्व को ज्यादा महत्व देने में लगे हुए हैं। त्रिलोकी नाथ ने कहा लोगों में एक दूसरे के जुड़ाव का कोई मायने अब नहीं दिखता। आपसी प्रेम, भाईचारा की जगह नफरत और साजिशों का जाल बिछता जा रहा है।
रजत और साहिल गौतम ने कहा कि समाज अच्छाई की तरफ कम, बुराई की तरफ ज्यादा झुकता जा रहा है। पाश्चात्य सभ्यता, संस्कृति व शैली, आधुनिक खान पान, रहन सहन के चक्कर में प्रकृति से मोह भंग कर चुका है। जिससे प्रकृति भी आज उनसे मुख मोड़ती जा रही है। जिसका एक प्रभाव कोरोना है। लगातार लोगों के स्वास्थ्य में आ रही गिरावट एक विकराल प्रलय का संकेत दे रही है। श्रद्धांजलि के उपरान्त सर्वसम्मति से उपस्थित लोगों ने समाज में निरंतर आ रही संस्कारों, नैतिकता, आचरण व स्वास्थ्य में आ रही गिरावट को रोकने का निर्णय लिया और सर्वसम्मति से भारत को बौद्धमय भारत निर्माण में काम करने का निर्णय लिया।