क्रियायोग आश्रम पर भू माफियाओं की निगाहें, सुरक्षा की मांग
न्यायालय व उच्च न्यायालय ने याचिकाएं की है खारिज
प्रयागराज, 07 जून । झूंसी स्थित क्रियायोग आश्रम एवं अनुसंधान संस्थान पर भू माफियाओं की निगाहें लगी हुई हैं। येन केन प्रकारेण आश्रम पर कब्जा करने की नियत से आश्रम के संस्थापक एवं वहां के निवासियों को बार-बार परेशान किया जा रहा है। जबकि कई बार न्यायालय एवं उच्च न्यायालय में जांचोपरान्त याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं। इसके बावजूद परेशान करने की नियत से अधिकारियों के यहां प्रार्थना पत्र दिया जा रहा है, कि क्रियायोग का भूमि पर अवैध कब्जा है।
क्रियायोग आश्रम की स्वामी शक्तिमाता सत्यम् ने मंगलवार को मुख्य राजस्व अधिकारी हरि शंकर से मिलकर अनाधिकृत रूप से कब्जा करने की गलत नियत से परेशान करने वाले असामाजिक तत्वों के विरूद्ध कार्यवाही करते हुए आश्रम को सुरक्षा प्रदान करने की मांग की है।
पत्र में उन्होंने कहा है कि इसके विकास से ईर्ष्या रखने वाले असामाजिक तत्व बार-बार इसे डिस्टर्ब करने के लिए प्रयास करते रहते हैं। झूठा मुकदमा करके तथा अभिलेखों में हेरा-फेरी करके अनेक याचिकाएं दर्ज किये, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। आश्रम की सम्पूर्ण जमीनों की कई बार पैमाइश होकर उस पर न्यायालय, उच्च न्यायालय तथा जिला प्रशासन की रिपोर्ट लग चुकी है। जिससे स्पष्ट है कि आश्रम अपनी भूमिधरी जमीन पर काबिज है। इसमें किसी भी प्रकार का अनाधिकृत निर्माण नहीं है। इसके बावजूद लोग तरह-तरह से परेशान करने में लगे हुए हैं।
स्वामी शक्तिमाता सत्यम् ने पत्र में बताया है कि क्रियायोग आश्रम की स्थापना 1983 में हुई। जिसका तत्कालीन जिलाधिकारी पीसी चतुर्वेदी, आईपीएस भारतेन्दु प्रकाश सिंह तथा मानव एवं संसाधन मंत्री डॉ मुरली मनोहर जोशी ने आश्रम का शिलान्यास किया था। तभी से आश्रम मानव सेवा और शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक विकास हेतु संकल्पित और सेवारत है। लेकिन शिवलाल निषाद पुत्र स्व. श्यामलाल निषाद निवासी झूंसी, कोहना ने 09 मई, 2022 को हंसतीर्थ तथा संकष्टहर माधव का स्थान मुक्त कराने के सम्बंध में प्रार्थना पत्र दिया है।
उन्होंने बताया कि शिवलाल निषाद द्वारा पूर्व में उच्च न्यायालय में संस्थित जनहित याचिका संख्या 46359/2006 शिवलाल व अन्य बनाम स्टेट ऑफ यूपी व अन्य दाखिल की जा चुकी है। जिसे उच्च न्यायालय ने निरस्त करते हुए जिलाधिकारी को जांच कर आख्या प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। प्रेषित रिपोर्ट में जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया है कि आराजी संख्या 11 व 12 संस्था के नाम संक्रिरानी भूमिधरी है, जिस पर क्रियायोग आश्रम का कब्जा है। किसी भी राजस्व अभिलेख में उक्त आराजी देव सम्पत्ति के रूप में दर्ज नहीं है। पूर्व में भी आराजी संख्या 11 व 12 के सम्बंध में उच्च न्यायालय में जनहित याचिका संख्या 37324/2012 भी दाखिल किया जा चुका है, जिसे उच्च न्यायालय ने अपने आदेश 11 अगस्त, 2012 के द्वारा खारिज कर दिया है।
इस सन्दर्भ में उक्त आराजी से सम्बंधित दस्तावेजों की प्रति उपलब्ध कराते हुए कहा कि आप संस्था द्वारा उपलब्ध दस्तावेजों का निरीक्षण कर न्यायोचित आदेश पारित करें। साथ ही शिवलाल निषाद द्वारा बार-बार संस्था को परेशान करने की नियत से दिये जा रहे प्रार्थना पत्रों की जांच कर उचित कार्रवाई करें।