किसान पाठशाला : अधिकारियों ने जाना बिना रासायनिक खादों के खेती के टिप्स

जैविक खेती, मूल्य संवर्धन एवं पराली प्रबंधन द मिलीयन फार्मर्स स्कूल का आयोजन हुआ

किसान पाठशाला : अधिकारियों ने जाना बिना रासायनिक खादों के खेती के टिप्स

गोरखपुर, 09 सितम्बर । उत्तर प्रदेश कृषि निदेशक विवेक कुमार ने गुरुवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये कृषि अधिकारियों व किसानों को जैविक खेती का पाठ पढ़ाया। बिना रसायन के प्रयोग किये अच्छी उपज लेने के गुर सिखाए। किसान पाठशाला नामक इस वीडियो कांफ्रेंसिंग में जैविक तरीके से खेती मूल्य संवर्धन एवं पराली प्रबंधन की जानकारियां दी गईं।



गोरखपुर एनआईसी में इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग हॉल में जुड़े डिप्टी डायरेक्टर संजय सिंह, जिला कृषि अधिकारी देवेंद्र और कृषि विभाग के अन्य अधिकारियों के साथ कुछ किसानों को यह सीख मिली। इस दौरान कृषि निदेशक विवेक सिंह ने बताया कि बिना किसी रसायन का प्रयोग किए बगैर भी फसलों को रोगों व कीटों से बचाया जा सकता है। मूल्य संवर्धन कर किसान अपने उत्पाद को दोगुने मूल्यों पर बेच सकते हैं।



उन्होंने फसल कटाई के बाद पराली प्रबंधन की तरकीब भी बताई। पराली को जलाने की मनाही करते हुए उसकी हानियों को भी बताया। भूमि की समाप्त होती उर्वरा शक्ति को पुनः प्राप्त करने को पराली प्रबंधन पर जोर दिया।



उन्होंने कहा कि किसानों को खेती संबंधित आधुनिक तकनीक की जानकारी देना जरूरी है। सरकार की ओर से चलाई जा रही खेती-किसानी योजनाओं की जानकारी हर किसान तक पहुंचाने की चिंता करना विभाग के हर अधिकारी और कर्मचारी का कर्तव्य है। किसानों को भी इसे अपने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए।



उन्होंने कहा कि वर्तमान में किसानों की आय दोगुना और अधिक उत्पादकता प्राप्त करने को प्रदेश भर में किसान पाठशाला का आयोजन हो रहा है। उत्तर प्रदेश कृषि विभाग की तरफ से “द मिलियन फारमर्स स्कूल” नाम से नया कार्यक्रम शुरू किया गया है।



इन विधियों पर दिया जोर

इस दौरान कृषि निदेशक विवेक कुमार ने कीट व रोगों के रोकथाम के लिए सुझाव भी दिया। कहा, गर्मी की जुताई गहरी करें। भूमि शोधन, बीज शोधन के जैव फफूंदनाशकों से करें। इस विधि को अपनाने में 5 प्रतिशत नीम सीड कर्नल एक्सट्रेड दवा बनाई जा सकती है। नीम पत्ती, धतूरा पत्ती, मदार पत्ती और कनेर की पत्तियों से विभिन्न कीटों की रोकथाम संभव है। इस दवा को बनाने की विधि की विस्तृत जानकारी दी।



गोमूत्र-गोबर से बनाएं दवा

गोमूत्र व गोबर से बनने वाले दवाइयों की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि अमृत पानी, बीज अमृत, पंच गव्य एवं मटका खाद भी फसलों को संजीवनी देती है। इस विधि से किसानों को रूबरू कराएं।



बोले डीडी कृषि

इस संबंध में डिप्टी डायरेक्टर गोरखपुर संजय सिंह का कहना है कि किसानों को किसान पाठशाला में खेती किसानी से जुड़ी जानकारियां दी जाती हैं। ''द मिलियन फारमर्स स्कूल'' का मुख्य मकसद किसान आधुनिक तकनीक की जानकारी देना है। इसे सीखकर वे कम लागत में अच्छी खेती कर अपनी आय बढ़ा सकते हैं। सरकार प्रयास कर रही है कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो।