न्यायपालिका में हम टीम भावना से जनता को न्याय दिलाने का काम कर रहे: किरन रिजिजू

न्यायपालिका में हम टीम भावना से जनता को न्याय दिलाने का काम कर रहे: किरन रिजिजू

न्यायपालिका में हम टीम भावना से जनता को न्याय दिलाने का काम कर रहे: किरन रिजिजू

प्रयागराज, 04 फरवरी । केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरण रिजिजू ने शनिवार को कहा कि न्यायपालिका व सरकार में कोई टकराव नहीं है। हम एक टीम भावना से जनता को न्याय दिलाने का काम कर रहे हैं। जनता मालिक है। संविधान गाइड है। देश संविधान के मुताबिक चलेगा। हम जनता के सेवक हैं। हमें काम करने की जिम्मेदारी मिली है, हम जिम्मेदारी निभा रहे हैं।



केंद्रीय मंत्री रिजिजू हाईकोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा हाईकोर्ट परिसर में आयोजित दो दिवसीय 150 वर्ष स्थापना दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि देश की अदालतों में 04 करोड़ 90 लाख मुकदमे विचाराधीन हैं। मिडिएशन, अधिकरण के बावजूद लंबित मुकदमों की संख्या कम होती नजर नहीं आ रही है। लोग सोचते हैं अदालत काम नहीं कर रही। न्यायाधीश कड़ी मेहनत कर भारी संख्या में मुकदमे तय कर रहे हैं। किन्तु उतनी ही संख्या में नये दाखिल हो रहे हैं। हम समझते हैं आम आदमी नहीं समझता। हमने समाधान का उपाय ढूंढा है। मैन पावर के साथ तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। साथ ही अदालत में केस आने से पहले मिडिएशन के माध्यम से सुलह से तय करने पर बल दिया जाय।

किरण रिजिजू ने कहा तकनीकी के कारण ही कोविड पेंडमिक के समय हमारी अदालतें बंद नहीं हुई। सरकार और कोर्ट ने चुनौती स्वीकार की। ऑनलाइन बहस से जनता को न्याय मिलता रहा। दुनिया में अच्छा संदेश गया। अमेरिका जैसे देश विश्वास नहीं कर रहे थे। हमने बताया कि जज कितनी मेहनत करते हैं। रिजिजू ने यह कहा कि ई कोर्ट से संभव हुआ। मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने ई-कोर्ट फेज तीन के लिए सात हजार करोड़ का बजट दिया है। जिससे न्याय पाने की यात्रा की दूरी कम होगी। उन्होंने कहा कि मुकदमे में तारीख न मिल पाना, वर्षों तक केस लंबित रहना अच्छी स्थिति नहीं है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ई कोर्ट में लीड ले, हम सहयोग करेंगे। मुकदमों के अदालत आने से पहले सुलह से तय करने का हमें उपाय करना होगा।

रिजिजू ने अदालतों में देश की भाषा के इस्तेमाल पर बल देते हुए कहा कि मेरे साथ आगरा के युवा रुस गये थे। हमें द्विभाषिए मिले थे। आगरा के युवा छात्र अंग्रेजी बोलते तो वे रूसी में परिवर्तित करते। एक दिन एक ने कह दिया कि हमने हिंदी कोर्स किया। हमें अंग्रेजी नहीं आती। हमें मातृ भाषा में अपनी बात करनी चाहिए। उन्होंने उदाहरण दिया और कहा कि गांव की पृष्ठभूमि के वादकारी को जज व वकील ने क्या बात की, निर्णय क्या हुआ, समझ में आना चाहिए। मातृभाषा में फैसले आने चाहिए। भारत के मुख्य न्यायाधीश ने पुराने फैसलों का अनुवाद शुरू कर दिया है। अंग्रेजी का भाषाई दबदबा सही नहीं। जस्टिस बोबडे कमेटी ने भारतीय भाषा रिपोर्ट तैयार की है। शब्दकोश तैयार किया गया है। हमने 1486 पुराने कोलोनियल कानूनों को समाप्त कर दिया है। 65 कानून हटाने जा रहे हैं।

सुलह से केस तय करने को बढ़ावा दिया जाए। इससे वादकारी को संतोष मिलता है। दरवाजे पर न्याय की दिशा में हम बढ़ रहे हैं। भारत में जो कुछ होता है दुनिया में सबसे बड़ा होता है। हमारी किसी से तुलना नहीं हो सकती। हम टीम भावना से काम करने वाले हैं। उन्होंने कहा यहां आकर हाईकोर्ट का गौरवशाली इतिहास महसूस कर रहा हूं। कार्यक्रम में बुलाने पर प्रसन्नता व्यक्त की। अच्छा काम करेंगे तो सफलता मिलेगी। हम सफल तो देश सफल होगा। हमें गौरवशाली इतिहास संजोए रखना होगा।

उन्होंने मीडिया पर तंज कसा और कहा अच्छी बात नहीं उछालते। कोई बात पकड़ कर हेड लाइन बना देते हैं और टीवी डिबेट में बैठकर बोलने वाले देश का ठेकेदार बन बैठते हैं। सरकार न्यायपालिका में टकराव की चर्चा शुरू हो जाती है। मीडिया को भी देखना चाहिए कि किस खबर को महत्व दें।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी ने कहा कि मुझे गर्व है कि मैं इस बार का सदस्य रहा हूं। यहां आकर बहुत गौरव की अनुभूति हो रही है। उन्होंने अपने गुरु वरिष्ठ अधिवक्ता स्व. जी एन वर्मा को याद किया। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने अपने गुरु वरिष्ठ अधिवक्ता वीके एस चौधरी को याद किया। कहा मैं जो भी हूं, उन्हीं से सीखा है। उन्होंने कुमार विश्वास की पंक्तियां सुनाते हुए कहा रिजिजू बहुत सरल है। किंतु कई प्रतिभाओं के धनी हैं।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने कहा मेरे लिए गर्व का विषय है कि ऐतिहासिक समारोह मेरे कार्यकाल में हुआ। उन्होंने पं. कन्हैयालाल मिश्र, केशरी नाथ त्रिपाठी व शांति भूषण की मेधावी प्रतिभा का बखान कर कहा ये हमारे प्रेरणा श्रोत है।

न्यायमूर्ति प्रीतिकर दिवाकर ने कहा अधिवक्ता अपने घर से अधिक समय पेशे को देते हैं। यह बुद्धिजीवी समाज है। एक छत के नीचे इतना बड़ा बुद्धिजीवी समाज कहीं नहीं दिखाई देता। उन्होंने कानून मंत्री से हाईटेक पुस्तकालय देने की अपील की और कहा विचाराधीन मुकद्दमों के लिए बार बेंच दोषी नहीं है।

अध्यक्ष राधाकांत ओझा ने आगंतुकों का स्वागत किया और बार एसोसिएशन के गौरवशाली इतिहास पर प्रकाश डाला। बार के पदाधिकारियों ने मुख्य अतिथि सहित मंच पर आसीन मनीषियों को पुष्पगुच्छ, शाल व स्मृति चिन्ह भेंट कर अभिनंदन किया। महासचिव एसडी सिंह जादौन ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

मंच पर महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र, वरिष्ठ न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व वरिष्ठ उपाध्यक्ष मनोज मिश्र आसीन थे। कार्यक्रम में सभी न्यायमूर्ति व अधिवक्ता भारी संख्या में उपस्थित थे।