मानव की खरीद फरोख्त समाज में अपराध व गहरा काला धब्बा : हाईकोर्ट
नाबालिग को देह व्यापार में धकेलने वाले को जमानत देने से इंकार
प्रयागराज, 06 मई। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि मानव का वस्तु की तरह खरीद फरोख्त समाज पर गहरा काला धब्बा है। नाबालिग को देह व्यापार में धकेलना केवल पीड़िता ही नहीं समाज के विरुद्ध अपराध है।
कोर्ट ने नाबालिग लड़की को खुले बाजार में सब्जी की तरह खरीदने एवं शारीरिक शोषण की सुविधा के लिए शादी का जामा पहनाने वाले शाहजहांपुर, थाना क्षेत्र निगोही के निवासी मोहरपाल मौर्य को जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया है और जमानत अर्जी खारिज कर दी है।
न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि देह व्यापार, बंधुआ मजदूरी, बेगार को संविधान के अनुच्छेद 21 सहित कई कानूनों के तहत प्रतिबंधित किया गया है। बाल कल्याण समिति व एनजीओ पीड़ितों की मदद कर रहे हैं। कोर्ट ने तमाम एनजीओ से समाज में जागरूकता लाने और बच्चों को बचाने की कोशिश करने की अपील की है। ताकि बच्चे रैकेट के चंगुल में फंसने न पायें। बाल मजदूरी व बाल बेगार को हतोत्साहित किया जाय।
कोर्ट ने कहा आरोपियों ने यौनशोषण के लिए पीड़िता के शरीर से शादी की, उसने भावना व मस्तिष्क से सम्बंध नहीं बनाए। कोर्ट ने सह अभियुक्त की जमानत पर रिहाई की यह कहते हुए पैरिटी देने से इंकार कर दिया कि अदालत में सही तथ्य नहीं पेश किया गया होगा।