पुलिस इंस्पेक्टर को संस्तुति के बाद भी राष्ट्रपति मेडल न देने पर कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

पुलिस इंस्पेक्टर को संस्तुति के बाद भी राष्ट्रपति मेडल न देने पर कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

पुलिस इंस्पेक्टर को संस्तुति के बाद भी राष्ट्रपति मेडल न देने पर कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

प्रयागराज, 15 जुलाई। एक लाख रुपये के ईनामी अपराधी को मुठभेड़ में ढेर करने वाले पुलिस इंस्पेक्टर को राष्ट्रपति मेडल की संस्तुति के बाद भी मेडल न दिए जाने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार, डीजीपी यूपी व केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है।

इंस्पेक्टर नरेंद्र तोमर की याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय ने प्रदेश और केंद्र सरकार से इस मामले में जवाब मांगा है। नरेन्द्र की ओर से याचिका दाखिल करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का कहना था कि शैंलेद्र तोमर ने क्राइम ब्रांच गौतमबुद्ध नगर में इंस्पेक्टर रहते हुए दुर्दांत अपराधी धर्मेंद्र उर्फ लाला का 26 सितम्बर 2012 को एक मुठभेड़ में ढेर कर दिया था। धर्मेंद्र पर मेरठ में डिप्टी जेलर नरेन्द्र द्विवेदी, नगर पालिका खेखड़ा बागपत के चेयरमैन हरेन्द्र सिंह सहित दर्जनों हत्याएं, अपहरण, लूट और फिरौती जैसे मामले दर्ज थे। वह सुशील मुच्छ गैंग का शार्प शूटर और सुपारी किलर था तथा पुलिस कस्टडी से फरार चल रहा था।



इस बहादुरी के कार्य के लिए नरेन्द्र तोमर को राष्ट्रपति का पुलिस पदक देने के लिए 2017 में संस्तुति की गई। पुलिस अधिकारियों के बीच इसे लेकर दर्जनों बार पत्राचार हुआ। नरेन्द्र की फाइल केंद्र सरकार को भेजने के लिए उत्तर प्रदेश शासन के पास भेज दी गई। सरकारी वकील का कहना था कि शासन उनके मामले पर विचार कर रहा है और जल्दी ही इस सम्बंध में निर्णय लिया जाएगा।



वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना था कि भारत सरकार ने 10 मार्च 1951 को अधिसूचना जारी कर सेवा के दौरान अदम्य साहस, शौर्य का परिचय देने और अपनी जान जोखिम में डाल कर कार्य करने वाले पुलिस कर्मचारियों को राष्ट्रपति मेडल से पुरस्कृत करने का निर्णय लिया है। याची के खिलाफ एनकाउंटर के बाद मानवाधिकार आयोग और अन्य जांचें पूरी हो चुकी हैं और सभी में एनकाउंटर सही पाया गया है। इसके बाद ही उनको मेडल दिए जाने की संस्तुति की गई। इसके बावजूद 2017 से उनके मामले में कोई निर्णय नहीं लिया गया, न ही एवार्ड के तौर पर मिलने वाला एक लाख रुपये का इनाम ही उनको दिया गया है।

कोर्ट ने इस मामले में डीजीपी यूपी, राज्य सरकार और केंद्र सरकार को पूरी जानकारी के साथ हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।