काशी में पहली बार 'मां सती के 51 शक्तिपीठ एवं द्वादश ज्योतिर्लिंगों का महासमागम
प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ने किया उद्घाटन,पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में स्थित मां सती की शक्तिपीठों के पीठाधीश्वर जुटे
वाराणसी,30 नवम्बर । काशीपुराधिपति की नगरी में पहली बार शनिवार को'मां सती के 51 शक्तिपीठ एवं द्वादश ज्योतिर्लिंगों का महासमागम'हुआ। सिगरा स्थित रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आयोजित दो दिवसीय महासमागम का उद्घाटन प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, संत प्रखर महाराज व शंकराचार्य स्वामी अमृतानंद महाराज ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया।
उप मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि यह कार्यक्रम सनातन धर्म की ध्वजा को और ऊंचा करेगा। महासमागम कार्यक्रम की सराहना कर उन्होंने कहा कि ऐसा कार्यक्रम हजारों साल बाद हो रहा है। 51 शक्तिपीठों से लाए गए मिट्टी से माता और द्वादश ज्योतिर्लिंग के भूमि के मिट्टी से त्रिमूर्ति बनी है। यह काफी अद्भुत है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि 51 शक्तिपीठ और ज्योतिर्लिंग का दर्शन कराकर धन्य कर दिया है। आयोजक संस्था सेंटर फॉर सनातन रिसर्च और ट्राइडेंट सेवा समिति ट्रस्ट की पहल पर महासमागम में पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में स्थित मां सती की शक्तिपीठों के पीठाधीश्वर, ज्योतिर्लिंगों के अर्चक, व्यवस्थापक, संत-महंत, पुजारियों के अतिरिक्त अन्य प्रमुख देवी मंदिरों व शिव तीर्थों के प्रतिनिधि भाग ले रहे है। इसके अलावा श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों ने भी महासमागम में पूरे उत्साह से भागीदारी की। महासमागम की शुरूआत में मां सती की प्रतिमा और शिवलिंग का अनावरण किया गया। 51 महिलाओं ने शंखनाद किया। माँ ज्वाला शक्तिपीठ से महासमागम में ज्योति पहुंची। महासमागम के आयोजक संस्था के अध्यक्ष डॉ. रमन त्रिपाठी ने बताया कि इस समागम का उद्देश्य सनातनी धर्मस्थलों के बीच एकता स्थापित करना है।
——विदेश स्थित मां सती के शक्तिपीठ
पाकिस्तान -हिंगलाज भवानी शक्तिपीठ (बलूचिस्तान) व महिषासुर मर्दिनी मंदिर शिवाहरकार्य (कराची, निमंत्रित)।
बांग्लादेश - अपर्णा (भवानीपुर), जशोरेश्वरी (खुलना), भवानी (चंद्रनाथ पहाड़ी), विमला देवी (मुर्शिदाबाद), सुनंदा (बरिसल, शिकारपुर), देवी जयंती (जयंतिया), महालक्ष्मी (जैनपुर)।
नेपाल - गंडाल्ड चंडी (चंडी नदी), महाशिरा गुलेश्वरी देवी (निकट-पशुपतिनाथ मंदिर)।
तिब्बत - शक्ति दक्षयानी (मानसरोवर)।
श्रीलंका - शंकरी देवी या इंद्राक्षी देवी पीठम (त्रिकोणमाली)।